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World BreastFeeding Week: स्तनपान से जुड़े 10 मिथक जो पता होना चाहिए

World BreastFeeding Week:

माताओं और शिशुओं दोनों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए ब्रेस्टफीड यानी की स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 1 से 7 अगस्त तक वार्षिक कार्यक्रम मनाया जाता है।  स्तनपान, मातृत्व का एक प्राकृतिक और आवश्यक पहलू है, जो वर्षों से कई गलतफहमियों और मिथकों का विषय रहा है जिन्हें खत्म करना बहुत जरूरी है। इससे माताओं और शिशुओं दोनों को सर्वोत्तम देखभाल मिलेगी, जिसके वे हकदार हैं।

इन मिथकों की बेहतर समझ हासिल करके, हम सही जानकारी के साथ माताओं को सशक्त बना सकते हैं और मां और बच्चे दोनों के लिए एक स्वस्थ और अधिक संतुष्टिदायक स्तनपान अनुभव को बढ़ावा दे सकते हैं।

तो चलिए जानते हैं स्तनपान से संबंधित मिथकों और गलत धारणाओं के बारे में जो स्तनपान को कमज़ोर कर सकते हैं।

स्तनपान से जुड़े मिथक और तथ्य

मिथक 1: स्तनपान आसान और प्राकृतिक है

स्तनपान, चलने की तरह, एक सीखा हुआ कार्य है। हालांकि यह स्वाभाविक है, पर हमेशा हर मां और बच्चे के लिए यह आसान नहीं होता। एक आरामदायक दिनचर्या को अपनाने में दोनों को थोड़ा समय तो लग सकता है।

कई ऐसे कारण है जो स्तनपान कराने पर बुरा असर डालती हैं जैसे कि दर्दनाक डिलीवरी, मां और शिशु का कुछ समय के लिए दूर होना, स्तनपान कराने की जानकारी न होना आदि।

मिथक 2: सी सेक्शन के बाद पहले दिन दूध पिलाना संभव नहीं है

बच्चे का जन्म होते ही उसे दूध पिलाना संभव है, चाहे जन्म किसी भी प्रकार का हो। आपको बस एक कुशल स्तनपान सहायक व्यक्ति की आवश्यकता है जो बच्चे को स्तन से पकड़ाने में मदद कर सके और जो आपके पति/परिवार के अन्य सदस्यों को भी यह सिखा सके कि यह कैसे करना है। सी सेक्शन के दौरान उपयोग की जाने वाली अधिकांश दवाएं (एनेस्थेटिक्स/दर्द निवारक/एंटीबायोटिक्स आदि) का स्तनपान पर कोई असर नहीं पड़ता और आराम से स्तनपान करवाया जा सकता है।

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मिथक 3: स्तनपान से पहले मां को अपने निपल्स साफ करना चाहिए

निपल क्षेत्र को जर्म्स–फ्री रखने के लिए उसमें प्राकृतिक सुरक्षात्मक तेल होते हैं। पर जब हम इसे साफ करने की कोशिश करते हैं तो इसमें कीटाणु आने की संभावना अधिक होती है।

मिथक 4: पहले दिन दूध नहीं आता

कोई भी व्यक्ति स्तनों को दबाकर उनमें दूध की मात्रा की जांच नहीं कर सकता है। गर्भावस्था के 16वें-20वें सप्ताह के आसपास दूध का उत्पादन शुरू हो जाता है। पहले दिन स्तन मुलायम महसूस होते हैं क्योंकि इसमें कोलोस्ट्रम (शुरुआती चिपचिपा गाढ़ा दूध) होता है जिसकी शिशु को कम मात्रा में ही जरूरत होती है।

मिथक 5: दूध बनाने के लिए जड़ी-बूटियाँ/पाउडर/दूध का सेवन/विशेष आहार की आवश्यकता होती है

स्तन के दूध का उत्पादन, मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर निर्भर करता है। इसलिए पर्याप्त स्तनपान और उचित स्तन दूध उत्पादन एक दूसरे से जुड़े हैं।

हालांकि संतुलित आहार बनाए रखना और हाइड्रेटेड रहना जरूरी है, लेकिन विशिष्ट खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों का सेवन से दूध के बढ़ने की कोई गारंटी नहीं है।

मिथक 6: ब्रेस्ट पंप हानिकारक होता हैं और इनका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए

ब्रेस्ट पंप, अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह बहुत मददगार होते हैं। यदि किसी भी कारण से बच्चा मां से ठीक से दूध नहीं पी रहा है तो मां नियमित रूप से दूध निकालने और अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए ब्रेस्ट पंप का उपयोग कर सकती है।

मिथक 7: स्तनपान कराने के लिए उभरे हुए निपल्स की आवश्यकता होती है

चपटे निपल्स के आकार और आकृति के बावजूद, अगर सही ढंग से सहारा दिया जाए तो बच्चा स्तनों को पकड़ सकता है। चपटे निपल्स को बाहर निकालने की कोशिश करना बहुत आम होता है, लेकिन यह मददगार नहीं है बल्कि इससे नुकसान और चोट पहुंचती है।

मिथक 8: यदि किसी के निपल चपटे हैं तो निपल शील्ड बहुत मददगार होते हैं

यदि जन्म के समय बच्चा स्तनपान नहीं कर रहा है, तो किसी कुशल स्तनपान पेशेवर से सहायता लेना चाहिए। यदि निप्पल शील्ड का प्रयोग सही तरीके से न किया जाए तो दूध की आपूर्ति और बच्चे के दूध पीने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मिथक 9: स्तनपान से बच्चा मां पर अधिक निर्भर हो जाता है

बच्चे को प्यार करना, अपनाना और उसकी ज़रूरतों को पूरा करना उसे सुरक्षित महसूस कराता है और उसे स्वतंत्र बनने में मदद करता है जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में मदद मिलती है।

मिथक 10: स्तनपान से स्तन ढीले हो जाते हैं

गर्भावस्था, अनुवांशिकता और उम्र बढ़ने के कारण स्तन ढीले हो जाते हैं, न की स्तनपान से।

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