Guru Nanak Jayanti 2023: गुरु पर्व की तिथि, इतिहास, अनुष्ठान और महत्व
Guru Nanak Jayanti 2023: जानें गुरु पर्व की तिथि, इतिहास, अनुष्ठान, और महत्व। सिख समुदाय में इस पावन दिन का कैसे मनाया जाता है और गुरु नानक देव के उपदेशों का क्या महत्व है। गुरु पर्व के अद्वितीय और धार्मिक माहत्व को समझें और इस अद्भुत उत्सव को बड़े भक्ति भाव से निभाएं।
Guru Nanak Jayanti 2023:
गुरु नानक जयंती सिख धर्म (Sikh Dharm) के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। वे एक महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने जीवन में मानवता, एकता, समानता और भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने लोगों को जाति, धर्म और लिंग के भेदभाव से ऊपर उठने के लिए प्रेरित किया।
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गुरु नानक जी का जन्म (Birth of Guru Nanak)
गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। तलवंडी अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
तलवंडी उस समय दिल्ली सल्तनत के लाहौर प्रांत का एक हिस्सा था। यह एक छोटा सा गाँव था जो रावी नदी के किनारे स्थित था।
गुरु नानक के पिता का नाम मेहता कालूचंद था और माता का नाम तृप्ता देवी था। कालूचंद एक खत्री थे और वह फसल राजस्व के लेखाकार थे।
गुरु नानक देव जी एक महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने जीवन में मानवता, एकता, समानता और भाईचारे का संदेश दिया।
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक हैं। उन्हें सिखों का पहला गुरु कहा जाता है।
गुरु पर्व /गुरु नानक जयंती की तिथि 2023(Date Of Guru Parv /Guru Nanak Jayanti 2023)
गुरु पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का अंतिम पूर्णिमा होती है। इस वर्ष गुरु पर्व /गुरु नानक जयंती 27 नवंबर 2023, सोमवार को मनाया जाएगा।
गुरु नानक जयंती का इतिहास (History of Guru Nanak Jayanti)
गुरु पर्व सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। वे एक महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने जीवन में मानवता, एकता, समानता और भाईचारे का संदेश दिया।
गुरु नानक देव जी के जन्म के बाद, उनके अनुयायियों ने उनके जन्मदिन को एक त्योहार के रूप में मनाना शुरू कर दिया। इस त्योहार को पहले गुरु प्रकाश पर्व (Guru Prakash Parv) कहा जाता था।
17वीं शताब्दी में, सिख धर्म के पांचवें गुरु, गुरु अर्जन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किया। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रंथ है। इसमें गुरु नानक देव जी के साथ-साथ अन्य सिख गुरुओं के लेखन शामिल हैं।
गुरु अर्जन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिख धर्म का मुख्य स्रोत घोषित किया। उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों के लिए एक नया गुरु माना जाना चाहिए।इसके बाद, गुरु प्रकाश पर्व को गुरु पर्व (Guru Parv) के रूप में जाना जाने लगा। गुरु पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का अंतिम पूर्णिमा होती है।
गुरु नानक जयंती के अनुष्ठान (Guru Nanak Jayanti Rituals)
गुरु पर्व के दिन गुरुद्वारों में विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं। इन समारोहों में अखंड पाठ, कीर्तन, भजन और प्रभात फेरी शामिल हैं।
- अखंड पाठ: गुरु ग्रंथ साहिब, सिखों का पवित्र ग्रंथ, एक विशेष मंच पर रखा जाता है। एक दल के पुजारी लगातार 24 घंटे तक गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं।
- कीर्तन: गुरु ग्रंथ साहिब के श्लोकों को संगीत के साथ गाए जाते हैं।
- भजन: गुरु ग्रंथ साहिब के श्लोकों को मंत्र के रूप में गाया जाता है।
- प्रभात फेरी: सुबह जल्दी उठकर गुरुद्वारे से एक जुलूस निकाला जाता है। जुलूस में लोग गुरु ग्रंथ साहिब के साथ चलते हैं और भजन गाते हैं।
गुरु नानक जयंती/ गुरु पर्व का महत्व (Importance of Guru Nanak Jayanti/ Guru Parv)
गुरु पर्व सिखों के लिए एक बहुत ही खास दिन है। इस दिन सिख गुरु नानक देव जी के जन्म और उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं। यह दिन सिखों को एक साथ आने और अपने धर्म और संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी है।
गुरु पर्व का महत्व निम्नलिखित है:
- यह गुरु नानक देव जी के जन्म और उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का अवसर है।
- यह सिखों को एक साथ आने और अपने धर्म और संस्कृति के बारे में जानने का अवसर है।
- यह दुनिया भर के लोगों को मानवता, एकता, समानता और भाईचारे के संदेशों को याद करने का अवसर है।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं (Guru Nanak Dev Ji Lessons)
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि उस समय थीं। उनकी शिक्षाओं से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम एक बेहतर इंसान बनें और दुनिया को एक बेहतर जगह बनायें।
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ईश्वर एक है और वह सबके दिलों में बसता है।
गुरु नानक देव जी ने सिखों को यह शिक्षा दी कि ईश्वर एक है और वह सबके दिलों में बसता है। उन्होंने लोगों को जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव करने से मना किया। उन्होंने कहा कि सभी लोग ईश्वर के बच्चे हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।
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सभी लोग ईश्वर के बच्चे हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।
गुरु नानक देव जी ने सिखों को यह शिक्षा दी कि सभी लोग ईश्वर के बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि हमें जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।
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ईश्वर की प्राप्ति के लिए हमें सच्चाई, करुणा और सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए।
गुरु नानक देव जी ने सिखों को यह शिक्षा दी कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए हमें सच्चाई, करुणा और सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा सच्चाई बोलनी चाहिए, दूसरों के प्रति दयालु होना चाहिए और दूसरों की सेवा करनी चाहिए।
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सभी लोगों को समान मानें, भले ही उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो।
गुरु नानक देव जी ने कहा कि ईश्वर एक है और वह सबके दिलों में बसता है। इसलिए, सभी लोग ईश्वर के बच्चे हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव करना गलत है। हमें सभी लोगों को समान मानना चाहिए, भले ही वे हमारे जैसे न हों।
इन शिक्षाओं को अपनाकर हम:
- एक अधिक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज बना सकते हैं।
- हिंसा और घृणा को कम कर सकते हैं।
- शांति और सद्भाव को बढ़ावा दे सकते हैं।
गुरु नानक देव जी के शिक्षाओं को अपनाकर हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं और दुनिया को एक बेहतर जगह बनायें।
गुरु नानक गुरु वाणी (Guru Nanak Guru Vani)
इक ओंकार सतनाम करता पुरख
निरभउ निरवैरी अकाल मुक्त
अजन्म अजूनी अविनाशी
अभय अगाध अखंड अचिन्ह
परम पुरुष निरधार अविचल
सच्चिदानंद अविगत नाम
अखंड अजर अमर अकाल
सर्वगुण निधान निरंकार
अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक
निर्गुण निराकार अज मुल
अनंत अक्षर अविनाशी
परम अद्वैत सच्चिदानंद
पूरन परब्रह्म परमेश्वर
सबदि संगत सच्चा शरनाम
सतिनाम सच्चा इक अकाल
सतगुरु सच्चा पूरन परमेश्वर
इक ओंकार सतनाम करता पुरख।।
गुरु वाणी का अर्थ:
ईश्वर एक है, वह सत्य है, वह सृष्टिकर्ता है, वह सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ है। वह निडर, निष्पक्ष, काल से मुक्त, जन्महीन, अजूनी, अविनाशी, अभय, अगाध, अखंड, अचिन्ह, परम पुरुष, निरधार, अविचल है।
वह सच्चिदानंद है, अर्थात् सत्य और आनंद का स्वरूप है। वह अविगत नाम है, अर्थात् वह नाम है जो कभी नहीं छिपा है। वह अखंड है, अर्थात् वह अविभाज्य है। वह अजर है, अर्थात् वह मृत्यु से परे है। वह अमर है, अर्थात् वह हमेशा जीवित है। वह अकाल है, अर्थात् वह काल से परे है। वह सर्वगुण निधान है, अर्थात् वह सभी गुणों का भंडार है। वह निरंकार है, अर्थात् वह रूप से रहित है। वह अनंत कोटि ब्रह्मांडों का स्वामी है।
वह निर्गुण है, अर्थात् वह गुणों से परे है। वह निराकार है, अर्थात् वह रूप से रहित है। वह अज मूल है, अर्थात् उसका कोई मूल नहीं है। वह अनंत है, अर्थात् उसका कोई अंत नहीं है। वह अक्षर है, अर्थात् वह अविनाशी है। वह अचिन्ह है, अर्थात् वह चिन्हों से परे है। वह वह परम अद्वैत है, अर्थात् वह एकता का स्वरूप है।
वह सच्चिदानंद है, अर्थात् सत्य और आनंद का स्वरूप है। वह पूर्ण परब्रह्म है, अर्थात् वह परम सत्ता है। वह परमेश्वर है, अर्थात् वह सभी सृष्टियों का स्वामी है।
गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व क्यों कहा जाता है? (Why is Guru Nanak Jayanti called Prakash Parv?)
गुरु पर्व को प्रकाश का पर्व इसलिए कहा जाता है क्योंकि गुरु नानक देव जी ने अपने ज्ञान और उपदेशों से लोगों के जीवन में प्रकाश फैलाया था। उन्होंने लोगों को अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और भेदभाव से मुक्त होकर एकता, समानता और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया।
गुरु नानक देव जी ने कहा था कि सभी लोग ईश्वर के बच्चे हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से रहना चाहिए। उन्होंने लोगों को सेवा, दया और करुणा के कार्यों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
गुरु नानक देव जी के ज्ञान और उपदेशों ने लोगों के जीवन को बदल दिया। उन्होंने लोगों को अज्ञानता और अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने का काम किया। इसलिए, उनके जन्मदिन को प्रकाश का पर्व कहा जाता है।
गुरु पर्व एक महत्वपूर्ण दिन है जो सिख धर्म के मूल्यों और शिक्षाओं को याद दिलाता है। यह एक दिन है जब लोग एक साथ आते हैं और शांति, प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।
गुरु नानक जयंती पर क्या करें? (What to do on Guru Nanak Jayanti?)
गुरु नानक जयंती के अवसर पर आप निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
- अपने स्थानीय गुरुद्वारे जाएँ और अखंड पाठ, कीर्तन और भजन में भाग लें।
- गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं के बारे में पढ़ें या सीखें।
- मानवता, एकता, समानता और भाईचारे के संदेशों को फैलाने के लिए काम करें।
गुरु पर्व सिखों के लिए एक बहुत ही खास दिन है। यह दिन हमें गुरु नानक देव जी के जन्म और उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का अवसर देता है। यह दिन हमें एक साथ आने और अपने धर्म और संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी देता है।
गुरु नानक जयंती और लंगर (Guru Nanak Jayanti and Langar)
लंगर एक सिख परंपरा है जिसमें सभी लोगों के लिए, उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना, नि:शुल्क भोजन परोसा जाता है। यह परंपरा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी द्वारा शुरू की गई थी। गुरु नानक देव जी ने कहा था कि सभी लोग ईश्वर के बच्चे हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए। लंगर इस संदेश को व्यक्त करने का एक तरीका है।
लंगर आमतौर पर गुरुद्वारों में आयोजित किया जाता है। गुरुद्वारे में आने वाले सभी लोग, चाहे वे सिख हों या न हों, लंगर में शामिल हो सकते हैं। लंगर में आमतौर पर चावल, दाल, रोटी, सब्जियां और मिठाई जैसा भोजन परोसा जाता है। भोजन को आमतौर पर स्वयंसेवकों द्वारा बनाया और परोसा जाता है।
लंगर एक महत्वपूर्ण सिख परंपरा है जो लोगों को एक साथ लाती है और एकता और भाईचारे का संदेश फैलाती है। यह एक ऐसी परंपरा है जो सिख धर्म के मूल्यों को दर्शाती है।
लंगर के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- यह लोगों को एक साथ लाता है और एकता और भाईचारे का संदेश फैलाता है।
- यह गरीबी और भूख को कम करने में मदद करता है।
- यह लोगों को सेवा के कार्य में शामिल होने का अवसर देता है।
लंगर एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक संस्था है जो सिख धर्म और दुनिया भर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत में गुरु नानक जयंती की छुट्टी कहा कहा होती है? (Guru Nanak Jayanti Holiday in India?)
गुरु नानक जयंती की छुट्टी एक सार्वजनिक छुट्टी है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बैंक, स्कूल और सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। इस दिन सिख धर्म के अनुयायी विशेष समारोह आयोजित करते हैं और गुरु नानक देव जी के जन्म और उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं।
- पंजाब
- हरियाणा
- हिमाचल प्रदेश
- जम्मू और कश्मीर
- चंडीगढ़
- उत्तराखंड
- दिल्ली
- उत्तर प्रदेश
- बिहार
- मध्य प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- झारखंड
- ओडिशा
- पश्चिम बंगाल
- अरुणाचल प्रदेश
- मणिपुर
- मिजोरम
- नागालैंड
- सिक्किम
- मेघालय
- त्रिपुरा
भारत के अलावा, गुरुनानक जयंती की छुट्टी अन्य देशों में भी मनाई जाती है, जहां सिख आबादी है। इन देशों में शामिल हैं:
- पाकिस्तान
- यूनाइटेड किंगडम
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- न्यूजीलैंड
- दक्षिण अफ्रीका
- मलेशिया
- सिंगापुर
- थाईलैंड
- इंडोनेशिया
- मलेशिया
- फिलीपींस
गुरु नानक देव जी की मृत्यु (Death of Guru Nanak Dev Ji)
गुरु नानक देव जी की मृत्यु 22 सितंबर, 1539 को करतारपुर में हुई थी। करतारपुर अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है।
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में 70 वर्षों तक उपदेश दिया और लोगों को एकता, समानता और भाईचारे का संदेश दिया। वे एक महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
गुरु नानक देव जी की मृत्यु को अक्सर सिख परंपरा में उनकी “जोती जोत” के रूप में वर्णित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब गुरु नानक देव जी का शरीर समाधि में पड़ा था, तो उनकी आत्मा एक दिव्य ज्योति में बदल गई और परम ज्योति में विलीन हो गई।
गुरु नानक देव जी की मृत्यु के बाद, उनके शिष्यों ने उन्हें सिखों का पहला गुरु घोषित किया। गुरु नानक देव जी के बाद, सिख धर्म के नौ और गुरु हुए।
गुरु नानक देव जी की मृत्यु सिख धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। उनकी मृत्यु ने सिख धर्म के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निष्कर्ष:
गुरु नानक जयंती, सिखों के लिए एक बहुत ही खास दिन है। यह दिन हमें गुरु नानक देव जी के जन्म और उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का अवसर देता है। यह दिन हमें एक साथ आने और अपने धर्म और संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी देता है।
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Guru Nanak Jayanti 2023: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न: गुरु जयंती कब है 2023?
उत्तर: गुरु जयंती 2023 में 27 नवंबर को है।
प्रश्न: गुरु नानक जयंती नवंबर में क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: गुरु नानक जयंती नवंबर में इसलिए मनाई जाती है क्योंकि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। कार्तिक माह हिंदू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण महीना है।
प्रश्न: गुरु नानक देव का जन्म कहाँ और कब हुआ?
उत्तर: गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक गाँव में हुआ था। यह गाँव आज पाकिस्तान में स्थित है।
प्रश्न: क्या गुरु नानक देव हिंदू थे?
उत्तर: गुरु नानक देव जी एक संत, समाज सुधारक और सिख धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों को एकता और समानता का संदेश दिया। इसलिए, उन्हें हिंदू या किसी अन्य धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता है।
प्रश्न: गुरु नानक के जन्मदिन पर कौन सा त्यौहार मनाया जाता है?
उत्तर: गुरु नानक देव जी के जन्मदिन को सिख धर्म में प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है।
प्रश्न: गुरु पर्व कब और कैसे मनाया जाता है?
उत्तर: गुरु पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों में जाकर गुरु नानक देव जी की पूजा-अर्चना करते हैं। वे गुरुवाणी का पाठ करते हैं, कीर्तन करते हैं और भजन गाते हैं। इस दिन सिख लोग मिलकर एक-दूसरे से मिलते हैं और खुशियां मनाते हैं।
प्रश्न: गुरु नानक जयंती पर क्या खाया जाता है?
उत्तर: गुरु नानक जयंती पर सिख लोग मीठे व्यंजन, जैसे कि हलवा, पूरी और पूड़ी खाते हैं।
प्रश्न: गुरु नानक का असली नाम क्या है?
उत्तर: गुरु नानक देव जी का असली नाम नानक था।
प्रश्न: क्या गुरु नानक का जन्मदिन राष्ट्रीय अवकाश है?
उत्तर: गुरु नानक का जन्मदिन भारत के कुछ राज्यों में राष्ट्रीय अवकाश है।
प्रश्न: गुरु नानक देव जी की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर: गुरु नानक देव जी की मृत्यु 22 सितंबर, 1539 को हुई थी।
प्रश्न: गुरु नानक देव का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर: गुरु नानक देव का वास्तविक नाम नानक था।
प्रश्न: गुरु नानक देव जी के पुत्र कौन हैं?
उत्तर: गुरु नानक देव जी के दो पुत्र थे: श्री चंद और लख्मी दास।
प्रश्न: गुरु नानक देव जी के वंशज कौन है?
उत्तर: गुरु नानक देव जी के वंशज सिख धर्म के गुरुओं के रूप में जाने जाते हैं। गुरु नानक देव जी के बाद, सिख धर्म के नौ अन्य गुरु हुए हैं। वर्तमान समय में, सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के वंशज, सिंह साहिब के रूप में जाने जाते हैं।