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Shri Krishna Chhathi: श्री कृष्ण छठी कब है? जाने छठी बनाने की सही विधि

Shri Krishna Chhathi: जानें श्री कृष्ण छठी 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इस पावन पर्व का धार्मिक महत्व। जानें कब और कैसे मनाएं Shree Krishna Chhathi और Krishna Chhathi 2024 Shubh Yog।

Shri Krishna Chhathi:

Laddu Gopal ki chhathi kab hai? यह सवाल हर भक्त के मन में आता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से जुड़े हर पर्व को श्रद्धा से मनाते हैं। श्रीकृष्ण की छठी यानी भगवान श्री कृष्ण के जन्म के छठे दिन मनाई जाने वाली Shree Krishna Chhathi का महत्व अत्यधिक है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। 

Krishna Chhathi Kab Hai? इस सवाल का जवाब जानना सभी भक्तों के लिए जरूरी है। 2024 में यह पावन पर्व 31 अगस्त या 1 सितंबर को मनाया जाएगा। Krishna Chhathi 2024 Shubh Yog में भक्त भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करते हैं। Kanha Ji Ki Chhathi Kab Hai? यह जानने के लिए भक्त पंचांग का अनुसरण करते हैं और उस दिन विधिपूर्वक व्रत रखते हैं।

कृष्ण छठी में क्यों बनते हैं कढ़ी चावल?

Shri Krishna Chhathi

भगवान कृष्ण की छठी की पूजा विधि:

श्री कृष्ण छठी का व्रत सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। पूजा विधि में Shree Krishna Chhathi के दिन विशेष रूप से कुछ अनुष्ठान किए जाते हैं।

पूजा के मुख्य चरण:

  1. कलश पूजन:

   – सबसे पहले कलश की पूजा की जाती है। मिट्टी का घड़ा, जिसे कलश कहा जाता है, में जल भरकर उसे पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है और उसकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

  1. भगवान कृष्ण की पूजा:

   – भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। श्रीकृष्ण की छठी के दिन भगवान को विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं, जिसमें मिठाई, फल और धूप-दीप शामिल हैं।

  1. अर्चना:

   – भगवान कृष्ण को चंदन, कुमकुम, फूल और भोग अर्पित किए जाते हैं। Krishna Chhathi Kab Hai और उसकी पूजा विधि को जानने के बाद भक्त पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं।

  1. व्रत कथा:

   – इस दिन Kanha Ji Ki Chhathi Kab Hai जानने के बाद व्रत कथा का भी विशेष महत्व होता है। कथा में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं का वर्णन किया जाता है।

  1. प्रसाद वितरण:

   – पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है, जिसमें खीर, पूरी, और विशेष पकवान होते हैं। प्रसाद को परिवार और आस-पड़ोस में बांटा जाता है।

  1. अर्ध्य:

   – सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्ध्य देकर पूजा का समापन किया जाता है।

Hartalika Teej Shubh Muhurat

छठी पूजा में खास व्यंजन

Shree Krishna Chhathi के अवसर पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं। इनमें कढ़ी-चावल, खीर, पूरी, हलवा और विभिन्न प्रकार के फल शामिल हैं। इनका भोग भगवान को अर्पित किया जाता है और बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

श्री कृष्ण छठी का महत्व

श्री कृष्ण छठी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक गहन और प्रेरणादायक है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के छठे दिन मनाया जाता है, जो उनके बाल स्वरूप की आराधना का प्रतीक है। इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य भगवान कृष्ण के जीवन के प्रारंभिक चरणों को स्मरण करना और उनकी बाल लीलाओं का सम्मान करना है।

  • बच्चों की सुरक्षा और दीर्घायु की कामना:

माता-पिता इस दिन विशेष रूप से अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, सुरक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण छठी के दिन किए गए व्रत और पूजा से बच्चों को आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे वे जीवनभर स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं। 

  • भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की आराधना

श्री कृष्ण छठी का महत्व इस तथ्य में भी निहित है कि यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप को समर्पित है। उनके जन्म के छठे दिन को विशेष रूप से उनके बचपन की लीलाओं और चमत्कारों को याद करते हुए मनाया जाता है। भक्त भगवान के बाल रूप की पूजा कर उनके निरंतर आशीर्वाद की कामना करते हैं।

  • पारिवारिक समृद्धि और कल्याण

श्री कृष्ण छठी के व्रत और पूजा के माध्यम से परिवार की समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से परिवार के सभी सदस्यों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से यह पर्व नए जन्मे बच्चों और उनके माता-पिता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

  • आध्यात्मिक जागरूकता

यह पर्व भक्तों को उनके आध्यात्मिक जीवन में जागरूकता और विश्वास को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा और उनके जीवन के आदर्शों का पालन करने से भक्त अपने जीवन में नैतिकता और धर्म का अनुसरण करने के लिए प्रेरित होते हैं।

  • सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

श्री कृष्ण छठी का पर्व भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे मनाकर हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखते हैं और अगली पीढ़ी को इन धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं से अवगत कराते हैं। 

  • सामुदायिक एकता और सौहार्द

यह पर्व समुदाय में एकता और सौहार्द का भी प्रतीक है। लोग मिल-जुलकर इस दिन को मनाते हैं, एक-दूसरे के साथ प्रसाद का आदान-प्रदान करते हैं, और सामूहिक पूजा का आयोजन करते हैं। इससे समाज में आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ता है। 

श्री कृष्ण छठी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह पर्व हमें भगवान के बाल रूप की मासूमियत और उनके दिव्य कृत्यों की याद दिलाता है, जिससे हमें अपने जीवन में सरलता, सच्चाई, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

श्रीकृष्ण की छठी से जुड़ी मान्यताएं

Shree Krishna Chhathi से जुड़ी मान्यताएं कहती हैं कि इस दिन छठी मां की पूजा करने से बच्चों की रक्षा होती है। Krishna Chhathi Kab Hai जानकर, इस दिन की पूजा करने से बच्चों को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

आधुनिक समय में श्रीकृष्ण की छठी

आज के समय में भी Laddu Gopal ki chhathi kab hai और उसे कैसे मनाया जाए, यह जानने की उत्सुकता भक्तों में बनी रहती है। इस पर्व का महत्व बना हुआ है, और लोग इसे पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। 

निष्कर्ष:

Shri Krishna Chhathi, भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा का पर्व है, जो हर साल भक्तों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 2024 में इस पर्व को और भी विशेष बनाने के लिए Krishna Chhathi Kab Hai और Laddu Gopal ki chhathi kab hai जैसे सवालों का जवाब जानकर, विधिपूर्वक पूजा करें। इस पर्व का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, जहां माता-पिता अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं। आधुनिक समय में भी कृष्ण जी की छठी का महत्व बरकरार है, और इस दिन विशेष व्यंजनों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण कर, उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

Shri Krishna Chhathi: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्र: मथुरा में कृष्ण छठी कब है?

उत्तर: मथुरा में श्री कृष्ण छठी 2024 में 1 सितंबर को मनाई जाएगी। यह तिथि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को आती है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के छठे दिन को दर्शाती है। मथुरा, जो भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है, में इस पर्व को बहुत धूमधाम और भक्ति भाव से मनाया जाता है।

प्रश्र: श्री कृष्ण का वार कौन सा है? 

उत्तर: श्री कृष्ण का वार बुधवार माना जाता है। भारतीय ज्योतिष और धार्मिक परंपरा में बुधवार का दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है, और इस दिन उनकी विशेष पूजा और आराधना की जाती है।  

प्रश्र: कृष्ण जी का असली नाम क्या है?

उत्तर: कृष्ण जी का असली नाम ‘कृष्ण’ है, जिसका अर्थ है ‘काला’ या ‘गहरे रंग का’। उन्हें कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि गोविंद, मुरलीधर, वासुदेव, और श्यामसुंदर। 

प्रश्र: भगवान कृष्ण गोकुल में कितने दिन रहे?  

उत्तर: भगवान कृष्ण ने अपने बचपन का शुरुआती समय गोकुल में बिताया। मान्यताओं के अनुसार, वे लगभग तीन साल और चार महीने (लगभग 1000 दिन) तक गोकुल में रहे। इसके बाद वे नंदगांव और फिर वृंदावन चले गए। 

प्रश्र: वृंदावन में छठी कब मनाई जाएगी?

उत्तर: वृंदावन में श्री कृष्ण छठी 2024 में भाद्रपद शुक्ल षष्ठी तिथि को, जो कि 31 अगस्त या 1 सितंबर को पड़ रही है, उसी दिन मनाई जाएगी। वृंदावन में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है।

प्रश्र: कृष्ण जी की छठी में क्या क्या बनता है?  

उत्तर: कृष्ण जी की छठी के अवसर पर विभिन्न प्रकार के विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कढ़ी-चावल, खीर, पूरी, हलवा, और विभिन्न प्रकार के फल शामिल होते हैं। इन व्यंजनों को भगवान को अर्पित करने के बाद प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।

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