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Day 6 Sharad Navratri 2023: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा कैसे करें

Day 6 Sharad Navratri 2023: 20 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि का छठा दिन है। शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस लेख में आपको मां कात्यायनी के बारे में विस्तार से बताया गया है, जिसमें उनकी पूजा विधि, मंत्र, स्तुति, स्त्रोत, भोग, आरती और रंग शामिल हैं।

Day 6 Sharad Navratri 2023

नवरात्रि के छठे दिन पूरे विश्व में देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी नवदुर्गाओं में छठी स्वरूप हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कात्यायन नाम के एक ऋषि थे जिनकी इच्छा थी कि देवी दुर्गा उनके घर पर बेटी के रूप में जन्म लें इसलिए उन्होंने भगवान को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की। वर्षों की कठिन तपस्या के बाद, भगवान ने उनकी इच्छा स्वीकार कर ली और देवी दुर्गा ने दक्षिण कृष्ण चतुर्दशी को ऋषि कात्यायन के घर जन्म लिया, इसीलिए उन्हें दुनिया भर में कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। देवताओं की रक्षा के लिए, देवी कात्यायनी देवताओं की ओर से युद्ध का नेतृत्व करती हैं। जब राक्षस महिषासुर ने सारी हदें पार कर दीं तब उन्होंने राक्षस महिषासुर का वध किया और सभी देवताओं को असुरों की पीड़ा से मुक्त कराया। देवी कात्यायनी नवरात्रि की नौ देवियों में से एक उग्र देवी हैं। साथ ही, वह भक्तों पर दया करती हैं और भक्तों को स्नेह का आशीर्वाद देती हैं और उनकी सभी सच्ची इच्छाएँ पूरी करती हैं।

तो आइए मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, स्तुति, भोग और रंग के बारे में विस्तार से पंडित जितेंद्र व्यास जी की ओर से जानें।

maa katyayani

जानें कौन है मां कात्यायनी? (Who Is Maa Katyayani?)

मां कात्यायनी, हिन्दू धर्म में नवरात्रि के पर्व के दौरान पूजी जाने वाली देवी हैं। वह नववीं रूप में पूजी जाती हैं, जब नवरात्रि के नौ दिनों तक नौ विभिन्न रूपों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

मां कात्यायनी, महर्षि कात्यायन के घर उनकी पुत्री रूप मेंअवतरित हुई थीं। इसलिए उन्हें “कात्यायनी” कहा गया है। वह एक उग्र रूप में प्रस्थित होती हैं, जिसमें उनकी आंखें लाल और भयंकर होती हैं। मां कात्यायनी की पूजा से भक्तों को साहस, सामर्थ्य और संयम की प्राप्ति होती है। वह नवरात्रि के उत्सव में भक्तों की कष्टनिवारणी करती हैं और उन्हें उत्तेजित करने वाली शक्ति प्रदान करती हैं।

शारदीय नवरात्रि 2023 का छठा दिन (Sixth Day of Shardiya Navratri 2023 Date)

इस साल 2023 में नवरात्रि का छठा दिन 20 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को मनाया जाएगा और पूजा की सभी रस्में अन्य दिनों की तरह ही की जाएंगी। माता कात्यायनी जिनकी पूजा नवरात्रि पूजा के छठे दिन की जाती है, उन्हें नौ देवियों में योद्धा देवी के रूप में जाना जाता है। देवी कात्यायनी ने अपनी दिव्य शक्ति से राक्षसों और राक्षसों की पीड़ा को समाप्त कर दिया था।

➧ नवरात्रि 2023 का छठा दिन

तिथि: 20 अक्टूबर 2023, शुक्रवार

➧ नवरात्रि के छठे दिन पहनने का रंग – 

ग्रे रंग के कपड़े

➧ नवरात्रि के छठे दिन चढ़ाया जाने वाला प्रसाद – 

शहद

➧ नवरात्रि के छठे दिन करने योग्य दान –

गुड़, खिलौने या खेल का सामान

➧ नवरात्रि के छठे दिन चढ़ाए जाने वाला फूल

लाल रंग के फूल (गुलाब)

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मां कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayani Puja Vidhi)

पूजा की सामग्री:

  • मां कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर
  • लाल या पीले रंग का कपड़ा
  • कुमकुम, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि
  • केले, हलवा, फल, सूखे मेवे आदि
  • मां कात्यायनी के मंत्र
  • मां कात्यायनी की आरती

पूजा विधि:

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
  • मां कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर को लाल या पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें।
  • मां को कुमकुम, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें।
  • मां कात्यायनी की आरती करें।

शारदीय नवरात्रि 2023

मां कात्यायनी मंत्र (Maa Katyayani Mantra)

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

Om Devi Katyayanyai Namah॥

मां कात्यायनी प्रार्थना (Maa Katyayani Prarthana)

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

Chandrahasojjvalakara Shardulavaravahana।

Katyayani Shubham Dadyad Devi Danavaghatini॥

मां कात्यायनी स्तुति (Maa Katyayani Stuti)

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Ya Devi Sarvabhuteshu Ma Katyayani Rupena Samsthita।

Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥

मां कात्यायनी ध्यान (Maa Katyayani Dhyana)

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

Vande Vanchhita Manorathartha Chandrardhakritashekharam।

Simharudha Chaturbhuja Katyayani Yashasvinim॥

Swarnavarna Ajnachakra Sthitam Shashthama Durga Trinetram।

Varabhita Karam Shagapadadharam Katyayanasutam Bhajami॥

Patambara Paridhanam Smeramukhi Nanalankara Bhushitam।

Manjira, Hara, Keyura, Kinkini, Ratnakundala Manditam॥

Prasannavadana Pallavadharam Kanta Kapolam Tugam Kucham।

Kamaniyam Lavanyam Trivalivibhushita Nimna Nabhim॥

मां कात्यायनी स्त्रोत (Maa Katyayani Stotra)

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।

कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥

कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।

कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥

कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।

कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥

Kanchanabha Varabhayam Padmadhara Mukatojjavalam।

Smeramukhi Shivapatni Katyayanesute Namoastute॥

Patambara Paridhanam Nanalankara Bhushitam।

Simhasthitam, Padmahastam Katyayanasute Namoastute॥

Paramanandamayi Devi Parabrahma Paramatma।

Paramashakti, Paramabhakti, Katyayanasute Namoastute॥

Vishwakarti, Vishwabharti, Vishwaharti, Vishwaprita।

Vishwachinta, Vishwatita Katyayanasute Namoastute॥

Kam Bija, Kam Japanandakam Bija Japa Toshite।

Kam Kam Bijam Japadasaktakam Kam Santuta॥

Kamkaraharshinikam Dhanadadhanamasana।

Kam Bija Japakarinikam Bija Tapa Manasa॥

Kam Karini Kam Mantrapujitakam Bija Dharini।

Kam Kim Kumkai Kah Thah Chah Swaharupini॥

मां कात्यायनी कवच (Maa Katyayani Kavacha)

कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥

कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

Katyayanaumukha Patu Kam Swahaswarupini।

Lalate Vijaya Patu Malini Nitya Sundari॥

Kalyani Hridayam Patu Jaya Bhagamalini॥

मां कात्यायनी आरती (Maa Katyayani Aarti)

जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

मां कात्यायनी की कथा (Maa Katyayani Katha)

मां कात्यायनी की कहानी हिन्दू पुराणों में मिलती है। एक समय की बात है, महर्षि कात्यायन नामक ऋषि अपनी तपस्या में लीन रहे थे। उनकी अत्यंत भक्ति और साधना के परिणामस्वरूप, देवी पार्वती ने उनकी प्रार्थना स्वीकार करके उनकी कुमारी रूप में अवतरित होकर उनके घर में जन्म लिया।

मां कात्यायनी का रूप उग्र और भयंकर होता है, जिसमें उनकी आंखें लाल और विकट होती हैं। उन्होंने अपनी तपस्या और साधना से परेशानियों और दुखों का संकेत दिया। मां कात्यायनी ने दुर्गा सप्तशती में वर्णित रूप में असुर महिषासुर का संहार किया था। इस क्रिया से वह असुरों के प्रति भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें सुरक्षा और साहस प्रदान करती हैं। इसलिए भक्तगण मां कात्यायनी की पूजा करते हैं, ताकि वह उन्हें दुखों से मुक्ति दिला सकें और उन्हें संयम, साहस और संजीवनी शक्तियाँ प्रदान करें।

Sharad Navratri 2023

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra)

पूजा के अंत में क्षमा मांगने के लिए यह मंत्र जरूर बोले, ताकि आपसे कोई भी भूल चूक हुई हो तो मां कुष्मांडा उसे माफ कर दें:–

। आह्वानं न जानामि न जानामि तवार्चनम्।। 

॥ पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां भगवान।। 

। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। ।।

॥ यत्पूजितं मया देव उत्तम तदस्मतु।।

भारत में मां कात्यायनी के मंदिर (Maa Katyayani Temples in India)

1- मां कात्यायनी मंदिर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र

2- मां कात्यायनी पीठ मंदिर, वृंदावन

3- छतरपुर मंदिर, दिल्ली

4- श्री कर्त्यायनी मंदिर, केरल

5- मां कात्यायनी शक्तिपीठ आधार देवी, माउंट आबू, राजस्थान

6- श्री कात्यायिनी अम्मान मंदिर, तमिलनाडु

मां कात्यायनी की विशेषता (Characteristic of Maa Katyayani)

मां कात्यायनी की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिने हाथ में अभयमुद्रा और वरमुद्रा है। बाएं हाथ में तलवार और कमल है।
  • मां कात्यायनी का वाहन सिंह है। सिंह को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।
  • मां कात्यायनी को ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से ज्ञान, बुद्धि, विद्या, धन, वैभव आदि की प्राप्ति होती है।
  • मां कात्यायनी को शक्ति और पराक्रम की देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा से सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है।
  • मां कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। उनकी पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Day 6 Sharad Navratri 2023: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्र: मां कात्यायनी कौन हैं?

उत्तर: मां कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे रूप हैं। वह ज्ञान, बुद्धि, विद्या, धन, वैभव आदि की देवी हैं। उनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है।

प्रश्र: मां कात्यायनी की उत्पत्ति कैसे हुई?

उत्तर: मां कात्यायनी की उत्पत्ति महर्षि कात्यायन के घर उनके भक्ति और साधना के परिणामस्वरूप हुई थी। वह उग्र रूप में प्रकट होती हैं और उनकी आंखें लाल और भयंकर होती हैं।

प्रश्र: मां कात्यायनी को कैसे प्रसन्न करें?

उत्तर: मां कात्यायनी की पूजा के लिए श्रद्धा और भक्ति से समर्पण भाव से पूजा करें। उनके मंत्र, आरती, स्तोत्र पठें और उन्हें फूल, चंदन, कुमकुम और प्रसाद से आर्चना करें।

प्रश्र: कात्यायनी किसका प्रतीक है?

उत्तर: मां कात्यायनी का प्रतीक शक्ति और साहस का है। वह देवी दुर्गा के रूप में प्रकट होती हैं और भक्तों को संयम और साहस की प्रेरणा प्रदान करती हैं।

प्रश्र: मां कात्यायनी को कौन सा रंग पसंद है?

उत्तर: मां कात्यायनी को ग्रे रंग पसंद है, जो उनकी उग्रता और शक्ति को प्रकट करता है।

प्रश्र: कात्यायनी माता का मंत्र कौन सा है?

उत्तर: “ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः” यह मां कात्यायनी का मंत्र है जो उनकी पूजा में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्र: मां कात्यायनी को कौन सा भोग लगाते हैं?

उत्तर: मां कात्यायनी को शहद, केले, हलवा, फल, सूखे मेवे आदि का भोग लगाया जाता है। शहद मां कात्यायनी का प्रतीक है। मान्यता है कि मां कात्यायनी को केले का भोग लगाने से सभी रोग दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है

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