Hartalika Teej Vrat: जाने हरतालिका तीज में 16 श्रृंगार का महत्व
Hartalika Teej Vrat: हरतालिका तीज व्रत पर 16 श्रृंगार का महत्व जानें। इस महत्वपूर्ण त्योहार पर महिलाएं कैसे सजती हैं और क्यों ये श्रृंगार पति की लंबी उम्र के लिए आवश्यक होते हैं, यहाँ जानें।
Hartalika Teej Vrat:
हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे विशेष रूप से भारत में महिलाएं श्रद्धा के साथ मनाती हैं। यह पर्व पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना के लिए समर्पित है और यह भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन को विशेष बनाने के लिए महिलाएं दिन भर उपवासी रहती हैं, पूजा-अर्चना करती हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करती हैं।
हरतालिका तीज 2024 (Hartalika Teej 2024) के इस खास दिन की पहचान उसकी पारंपरिक रस्मों और विशेष श्रृंगार से होती है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार (16 Adornments) करती हैं, जो केवल सजावट का हिस्सा नहीं बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और समृद्धि का प्रतीक भी होते हैं। माथे पर मांग टीका से लेकर पैरों में पायल तक, प्रत्येक श्रृंगार का अपना विशेष महत्व है और यह पारंपरिकता और धार्मिकता को मनाता है। इस प्रकार, हरतालिका तीज व्रत का परिचय और इसके श्रृंगारों का महत्व इस पर्व की आत्मा को उजागर करता है और इस दिन के धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव को समृद्ध बनाता है।
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हरतालिका तीज 2024 कब है? (When is Hartalika Teej 2024?)
2024 में हरतालिका तीज 8 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह पर्व भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। हरतालिका तीज विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए बड़े श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं दिन भर उपवासी रहकर पूजा-अर्चना करती हैं और पारंपरिक श्रृंगार में सजी-धजी रहती हैं।
हरतालिका तीज 2024 पर श्रृंगार (Hartalika Teej 16 Shringar)
मांग टीका (Mangal Tika)
मांग टीका का उपयोग माथे पर किया जाता है और यह सौभाग्य (Good Fortune) और पति के सुखमय जीवन की कामना का प्रतीक है। मांग टीका पहनने से महिलाएं अपने सौंदर्य को और भी आकर्षक बना सकती हैं।
बिंदी (Bindi)
बिंदी को माथे के बीच में लगाने से महिला का रूप और आकर्षण बढ़ता है। यह सौभाग्य और पति के साथ सुखद जीवन की कामना में सहायक होता है।
कमर बंध (Kamarband)
कमर बंध एक खूबसूरत आभूषण है जिसे महिलाएं अपनी कमर पर पहनती हैं। यह न केवल उनके श्रृंगार को पूर्णता देता है बल्कि यह सौंदर्य और शारीरिक आकर्षण को भी बढ़ाता है। कमर बंध का हरतालिका तीज के पारंपरिक श्रृंगार में खास स्थान है, जो महिलाओं के सौभाग्य और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
हार (Necklace)
हरतालिका तीज पर हार पहनना न केवल सुंदरता को निखारता है, बल्कि यह पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाने में भी मदद करता है। हार को धारण करने से महिलाएं विशेष अवसर की अहमियत को समझती हैं।
चूड़ियां (Bangles)
चूड़ियां पहनना इस दिन की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। चूड़ियां पहनने से सुहागिन महिलाओं का सौभाग्य बढ़ता है और व्रत की सफलता की कामना पूरी होती है।
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नथ (Nath)
नथ, जो कान के बीच में पहनने वाला आभूषण होता है, भी इस दिन के श्रृंगार का हिस्सा है। यह न केवल पारंपरिक सौंदर्य को बढ़ाता है, बल्कि सौभाग्य (Good Luck) का भी संकेत है।
रिंग (Ring)
अंगूठी (ring) या रिंग पहनना पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और सौभाग्य में इजाफा करता है। यह हरतालिका तीज के श्रृंगार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कड़ा (Kada)
कड़ा या हाथ में पहनने वाले आभूषण इस दिन के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा हैं। ये न केवल सजावट में मदद करते हैं बल्कि पारंपरिक महत्व भी रखते हैं।
नथनी (Nathni)
नथनी को सजाकर पहनना भी हरतालिका तीज का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सौभाग्य (good fortune) और समृद्धि का संकेत होता है।
कंगन (Kangan)
कंगन या कड़ा पहनना महिलाओं के श्रृंगार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पारंपरिक सौंदर्य को बढ़ाता है और हरतालिका तीज की रौनक को बढ़ाता है।
झुमके (Jhumke)
झुमके या चूड़ियां इस दिन के विशेष श्रृंगार का हिस्सा होते हैं। ये महिलाओं की सुंदरता को निखारते हैं और त्योहार की खुशी को बढ़ाते हैं।
मंगलसूत्र (Mangal Sutra)
मंगलसूत्र पहनना पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक होता है। इसे पहनना हरतालिका तीज पर अनिवार्य है और यह पति-पत्नी के बीच प्यार और विश्वास को दर्शाता है।
केश सजावट (Hair Styling)
बालों को सुंदर ढंग से संवारना और सजाना इस दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पूरे श्रृंगार को पूर्णता प्रदान करता है और महिलाओं को आकर्षक बनाता है।
साड़ी (Saree)
पारंपरिक साड़ी पहनना हरतालिका तीज का अभिन्न हिस्सा है। यह महिलाओं के सौंदर्य को निखारता है और पारंपरिकता को बनाए रखता है।
अलता (Aalta)
इस दिन महिलाएं दिन भर उपवासी रहकर पूजा-अर्चना करती हैं और पारंपरिक श्रृंगार में सजती हैं, जिसमें आलता का भी विशेष महत्व है। आलता एक लाल रंग का तरल पदार्थ होता है जिसे महिलाएं अपने पैरों और हाथों पर सजावटी रूप में लगाती हैं। यह ना केवल सौंदर्य को निखारता है बल्कि इसे शुभता और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है, जो हरतालिका तीज के 16 श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पैर की बिछुए (Toe Ring)
बिछुए पहनना भी इस दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बिछुए (Toe rings) महिलाओं के पैरों की उंगलियों में पहने जाते हैं और यह शादीशुदा होने का प्रतीक माने जाते हैं। बिछुए ना केवल सौंदर्य को बढ़ाते हैं बल्कि इन्हें महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी शुभ माना जाता है। हरतालिका तीज के 16 श्रृंगार में बिछुए का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह विवाहिता स्त्री के श्रृंगार और सौभाग्य का प्रतीक है। यह महिलाओं के श्रृंगार को पूरा करता है और सौभाग्य का संकेत माना जाता है।
निष्कर्ष:
हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej Vrat) एक महत्वपूर्ण अवसर है जो न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है बल्कि पारंपरिक भारतीय संस्कृति और धार्मिकता को भी सम्मानित करता है। इस दिन सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) का महत्व केवल सौंदर्य में नहीं, बल्कि इनकी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्वता में भी छिपा है। प्रत्येक श्रृंगार का चुनाव और उसका विधिपूर्वक उपयोग इस पर्व की आत्मा को उजागर करता है और इसे एक खास धार्मिक अनुभव बनाता है। महिलाओं के लिए यह एक अवसर है न केवल अपनी सुंदरता को निखारने का, बल्कि पारंपरिक रीति-रिवाजों के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को प्रकट करने का भी। हरतालिका तीज के इस खास दिन पर इन श्रृंगारों के माध्यम से न केवल अपने सौभाग्य को बढ़ाएं, बल्कि इस पावन पर्व की पूरी महत्ता को महसूस करें।
Hartalika Teej Vrat: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्र: महिलाओं के 16 श्रृंगार कौन-कौन से हैं?
उत्तर: महिलाओं के सोलह श्रृंगार में मांग टीका बिंदी, कर्णफूल, हार, चूड़ियां, नथ, रिंग, कड़ा, नथनी, कंगन, झुमका, मंगलसूत्र, केश सजावट, साड़ी, आलता, पायल, बिछिया
प्रश्र: हरतालिका तीज में कौन सा रंग पहनना चाहिए?
उत्तर: हरतालिका तीज पर महिलाएं आमतौर पर लाल, हरे, या पीले रंग की साड़ी या पारंपरिक परिधान पहनती हैं। ये रंग खुशी, समृद्धि और शुभता का प्रतीक होते हैं।
प्रश्र: हरतालिका तीज में क्या-क्या चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: हरतालिका तीज पर महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं और निम्नलिखित वस्तुएं चढ़ाती हैं: फल, मिठाई, पुष्प, दीपक, नारियल, पानी, सुपारी, घी।
प्रश्र: तीज के व्रत में कब पानी पिया जाता है?
उत्तर: तीज के व्रत में महिलाएं पूरे दिन उपवासी रहती हैं और केवल संतान के लिए पानी पीती हैं। व्रत की समाप्ति पर, शाम को पूजा के बाद पानी पिया जाता है।
प्रश्र: 16 श्रृंगार का मतलब क्या होता है?
उत्तर: 16 श्रृंगार एक पारंपरिक भारतीय सांस्कृतिक अवधारणा है जिसमें महिलाओं को 16 प्रकार के सौंदर्य और सजावट के वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है। यह श्रृंगार पति-पत्नी के रिश्ते को शुभता और समृद्धि की ओर ले जाता है।
प्रश्र: हरतालिका तीज में कौन-कौन सा सामान लगता है?
उत्तर: हरतालिका तीज में पूजा के लिए निम्नलिखित सामान की आवश्यकता होती है: फूल, फल, मिठाई, नारियल, दीपक, पानी, सुपारी।
प्रश्र: हरतालिका तीज का पारण कैसे करें?
उत्तर: हरतालिका तीज का पारण पूजा समाप्ति के बाद किया जाता है। सबसे पहले, देवी पार्वती की आरती करें और चढ़ाए गए अर्पण का प्रसाद ग्रहण करें। फिर, व्रत की समाप्ति पर पानी और भोजन का सेवन करें। अंत में, परिवार के सदस्यों से आशीर्वाद प्राप्त करें और व्रत की सफलता के लिए धन्यवाद अदा करें।
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