Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति में दही चूड़ा क्यों खाया जाता है?
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा खाने के पीछे कई कारण हैं। यह एक पौष्टिक, स्वादिष्ट और शुभ भोजन है। इस लेख में हम आपको इन कारणों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
Makar Sankranti 2024:
मकर संक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्यदेव के उत्तरायण होने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति को नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं, जिसका अर्थ है कि दिन की लंबाई बढ़ने लगती है और सर्दी का मौसम समाप्त होने लगता है। इसलिए, यह एक शुभ दिन माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें दही-चूड़ा सबसे लोकप्रिय है। दही-चूड़ा एक पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन है। दही में प्रोटीन, कैल्शियम, और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। चूड़ा भी पौष्टिक होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर होते हैं। इसलिए, मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
मकर संक्रांति कब है? जाने शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति 2024 कब है? (When is Makar Sankranti 2024?)
इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी, 2024 को मनाई जाएगी। सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी, 2024 की रात 2:44 बजे होगा। इसलिए, 15 जनवरी, 2024 को सुबह से ही मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा।
मकर संक्रांति का महत्व क्या है? (What Is The Importance Of Makar Sankranti?)
मकर संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन सूर्य देव के उत्तरायण होने का प्रतीक है। सूर्य देव के उत्तरायण होने से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। यह दिन नए साल की शुरुआत का भी प्रतीक है।
मकर संक्रांति के दिन क्या किया जाता है? (What Is Done On The Day of Makar Sankranti?
मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। फिर, वे सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन, लोग पतंग उड़ाते हैं, और पारंपरिक भोजन जैसे कि दही चूड़ा, तिल के लड्डू, और गुड़ खाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा क्यों खाया जाता है? (Why is Dahi Chuda Eaten On The Day Of Makar Sankranti?)
मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा खाने की परंपरा है। दही चूड़ा एक लोकप्रिय भारतीय व्यंजन है जो दही और चूड़े से बनाया जाता है। चूड़ा पके हुए चावल को पीसकर बनाया जाता है। दही चूड़ा एक स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन है जो मकर संक्रांति के दिन आनंद लेने के लिए एकदम सही है। दही चूड़ा खाने की परंपरा के पीछे कई कारण हैं:
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दही-चूड़ा का पौष्टिक महत्व
दही-चूड़ा एक पौष्टिक भोजन है। दही में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। चूड़ा भी पौष्टिक होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर होते हैं।
दही में मौजूद प्रोटीन शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। कैल्शियम हड्डियों और दांतों के लिए आवश्यक होता है। विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। प्रोटीन और फाइबर पाचन तंत्र के लिए अच्छे होते हैं।
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दही-चूड़ा का स्वादिष्ट महत्व
दही-चूड़ा एक स्वादिष्ट व्यंजन है। यह खाने में मीठा और ठंडा होता है, जो सर्दियों के मौसम में काफी अच्छा लगता है। दही-चूड़ा में चूड़ा, दही, शक्कर, और अन्य सामग्री डालकर बनाया जाता है।
चूड़ा चावल को पीसकर बनाया जाता है। दही एक खट्टा-मीठा पदार्थ है। शक्कर मीठापन प्रदान करती है। अन्य सामग्री जैसे कि तिल, मेवा आदि स्वाद को और बढ़ा देते हैं।
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दही-चूड़ा का शुभ महत्व
मकर संक्रांति एक शुभ त्योहार है। इस दिन लोग नए साल की शुरुआत करते हैं। दही-चूड़ा को एक शुभ भोजन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि दही-चूड़ा खाने से सुख-सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
इसके अलावा, दही-चूड़ा को एक प्रसाद के रूप में भी माना जाता है। लोग भगवान को दही-चूड़ा का भोग लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं।
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दही-चूड़ा का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति को सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। दही-चूड़ा को एक शुभ भोजन माना जाता है, जो सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
दही को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। चूड़ा को फसलों का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, दही-चूड़ा खाने से सुख-सौभाग्य, समृद्धि और फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है।
इसके अलावा, दही-चूड़ा को एक प्रसाद के रूप में भी माना जाता है। लोग भगवान को दही-चूड़ा का भोग लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं।
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दही-चूड़ा का सामाजिक महत्व
मकर संक्रांति एक सामाजिक उत्सव भी है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और दही-चूड़ा बांटते हैं। इससे लोगों के बीच प्रेम और भाईचारा बढ़ता है।
दही-चूड़ा एक स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। यह एक ऐसा व्यंजन है जो सभी को पसंद आता है। इसलिए, मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने से लोगों के बीच खुशहाली और उत्साह का माहौल रहता है।
निष्कर्ष:
दही-चूड़ा एक ऐसा व्यंजन है, जिसका पौष्टिक, स्वादिष्ट, शुभ, धार्मिक और सामाजिक महत्व है। मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने से लोगों को कई तरह के लाभ मिलते हैं।
Makar Sankranti 2024: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्र: मकर संक्रांति पर लोग दही चुरा क्यों खाते हैं?
उत्तर: दही चूड़ा खाने की परंपरा के पीछे कई कारण हैं। दही और चूड़ा दोनों ही पौष्टिक भोजन हैं। दही प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है। चूड़ा कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। दही चूड़ा फसलों की कटाई का प्रतीक है। दही चूड़ा खाने से किसानों की फसलों की अच्छी फसल की कामना की जाती है।
प्रश्र: मकर संक्रांति के दिन क्या क्या खाया जाता है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन, लोग कई तरह के पारंपरिक व्यंजन खाते हैं। इनमें दही चूड़ा, तिल के लड्डू, गुड़, और खिचड़ी शामिल हैं।
प्रश्र: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण?
उत्तर: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, मकर संक्रांति का दिन एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर राशि एक ठंडी राशि है, इसलिए इस दिन के आसपास मौसम ठंडा होने लगता है।
प्रश्र: मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
प्रश्र: मकर संक्रांति के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन, कुछ लोग मांस, मछली, और अंडे नहीं खाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है, और मांस, मछली, और अंडे को अशुद्ध माना जाता है।
प्रश्र: मकर संक्रांति के दिन कितने बजे नहाना चाहिए?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन, सूर्योदय से पहले नहाना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्योदय से पहले नहाने से शरीर से सभी अशुद्धताएं दूर हो जाती हैं और शरीर को ऊर्जा मिलती है
प्रश्र: मकर संक्रांति के दिन सुबह उठकर क्या करना चाहिए?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद, नए कपड़े पहनने चाहिए। फिर, सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। सूर्य देव की पूजा करने के लिए, उन्हें जल, अक्षत, फूल, और धूप अर्पित की जाती है।
मकर संक्रांति के दिन, पतंग उड़ाने का भी रिवाज है। पतंग उड़ाने से मन प्रसन्न होता है और चिंता दूर होती है।
प्रश्र: क्या मकर संक्रांति पर लोग नॉन वेज खाते हैं?
उत्तर: हां, मकर संक्रांति पर कुछ लोग नॉन वेज खाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे मानते हैं कि ये भोजन पौष्टिक होते हैं और शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
प्रश्र: मकर संक्रांति के पीछे की कहानी क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति के पीछे कई कहानियां हैं। एक कहानी के अनुसार, भगवान सूर्य ने एक बार राजा मान्धाता को एक वरदान दिया था कि वे हर साल मकर संक्रांति के दिन पृथ्वी पर आएंगे। इस दिन, सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए लोग नए कपड़े पहनते हैं, सूर्य देव की पूजा करते हैं, और पारंपरिक भोजन खाते हैं।
प्रश्र::मकर संक्रांति पर स्नान कैसे करते हैं?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन, सूर्योदय से पहले नहाना शुभ माना जाता है। स्नान के लिए, सबसे पहले एक तांबे के बर्तन में पानी भरें। फिर, पानी में अक्षत, फूल, और हल्दी मिलाएं। इस पानी से स्नान करने से शरीर से सभी अशुद्धताएं दूर हो जाती हैं और शरीर को ऊर्जा मिलती है।
स्नान के बाद, नए कपड़े पहनने चाहिए। फिर, सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।
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