Narak Chaturthi 2023: छोटी दिवाली में कितने दीए जलाए जाते हैं?
Narak Chaturthi 2023: नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस, या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
Narak Chaturthi 2023
नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह त्योहार दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस, या काली चौदस (Chhoti Diwali, Roop Chaudas, Kali Chaudas) के नाम से भी जाना जाता है।
नरक चतुर्दशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। नरकासुर अत्याचारी था और उसने कई लोगों को कष्ट दिए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उसकी सेना को पराजित किया और उसे मार डाला। नरकासुर के वध से लोगों को मुक्ति मिली और खुशियां मनाई गईं। इसी खुशी में नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है।
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नरक चतुर्दशी की परंपराएं (Traditions of Narak Chaturdashi)
- घर की साफ-सफाई:
नरक चतुर्दशी के दिन घर की साफ-सफाई का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन घर की साफ-सफाई करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- दीपदान:
नरक चतुर्दशी के दिन शाम को घर के बाहर दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि दीपदान करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
- उबटन लगाना:
नरक चतुर्दशी के दिन उबटन लगाने की भी परंपरा है। मान्यता है कि उबटन लगाने से त्वचा में चमक आती है और चेहरे पर निखार आता है।
नरक चतुर्दशी 2023 कब हैं? (When is Narak Chaturdashi 2023?)
नरक चतुर्दशी 2023: तिथि (Narak Chaturdashi 2023: Date)
नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2023 में नरक चतुर्दशी 11 नवंबर 2023, शनिवार को मनाई जाएगी।
नरक चतुर्दशी 2023: शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2023: Shubh Muhurat)
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, मां काली, और यमराज की पूजा की जाती है। पूजा में दीप, फूल, धूप, और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। यमराज को प्रसन्न करने के लिए यम तर्पण किया जाता है। शाम को घर के बाहर दीप जलाए जाते हैं।
प्रातः काल: 5 बजकर 28 मिनट से 6 बजकर 41 मिनट तक
दोपहर: 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक
शाम: 5 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 7 मिनट तक
नरक चतुर्दशी का महत्व (Importance of Narak Chaturdashi)
नरक चतुर्दशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। नरकासुर अत्याचारी था और उसने कई लोगों को कष्ट दिए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उसकी सेना को पराजित किया और उसे मार डाला। भगवान श्रीकृष्ण ने उसकी सेना को पराजित किया और उसे मार डाला। नरकासुर के वध से लोगों को मुक्ति मिली और खुशियां मनाई गईं। इसी खुशी में नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर एक असुर था जो दैत्यों का राजा था। वह बहुत शक्तिशाली था और उसने कई लोगों को परेशान किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करने का संकल्प लिया। उन्होंने नरकासुर से युद्ध किया और उसे पराजित किया। नरकासुर के वध से सभी लोगों को मुक्ति मिली और खुशियां मनाई गईं।
छोटी दिवाली में दीपक क्यों जलाए जाते हैं? (Why are Deepak lit in Chhoti Diwali?)
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या धनतेरस के बाद आने वाली अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन को लोग लक्ष्मी पूजा के लिए भी तैयारी करते हैं। इस दिन घरों में 13 दीए जलाए जाते हैं। इन दीयों को घर के मुख्य द्वार, मंदिर, रसोईघर, पीने के पानी के पास, पीपल के पेड़ के पास और घर के बाहर कूड़े के ढेर के पास जलाया जाता है।
छोटी दिवाली पर दीए जलाने की मान्यताएं
छोटी दिवाली पर दीए जलाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। इन मान्यताओं में से कुछ प्रमुख मान्यताएं इस प्रकार हैं:
- दीपक प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। इसलिए, छोटी दिवाली पर दीए जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
- छोटी दिवाली को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। इसलिए, इस दिन दीए जलाने से बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा को भगाया जाता है।
- छोटी दिवाली को अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या के दिन पृथ्वी पर अंधकार होता है। इसलिए, इस दिन दीए जलाने से घर में प्रकाश का संचार होता है और अंधकार दूर होता है।
- छोटी दिवाली पर दीए जलाने से घर में सुख-समृद्धि, खुशहाली और समृद्धि आती है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
छोटी दिवाली में कितने दीए जलाए जाते हैं? (How many lamps are lit in Chhoti Diwali?)
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या धनतेरस के बाद आने वाली अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन को लोग लक्ष्मी पूजा के लिए भी तैयारी करते हैं। इस दिन घरों में 13 दीए जलाए जाते हैं। इन दीयों को घर के मुख्य द्वार, मंदिर, रसोईघर, पीने के पानी के पास, पीपल के पेड़ के पास और घर के बाहर कूड़े के ढेर के पास जलाया जाता है।
छोटी दिवाली में 13 दीयों को जलाने की मान्यताएं
13 दीयों को जलाने के पीछे कई मान्यताएं हैं।
- एक मान्यता के अनुसार, 13 संख्या को शुभ माना जाता है। इसलिए, इस दिन 13 दीए जलाए जाते हैं। द
- 13 संख्या को शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में 13 को एक पूर्ण संख्या माना जाता है। इसलिए, इस दिन 13 दीए जलाए जाते हैं।
- दूसरी मान्यता के अनुसार, 13 दीयों को जलाने से बुरी आत्माएं घर से दूर रहती हैं।
- तीसरी मान्यता के अनुसार, 13 दीयों को जलाने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
- कुछ लोग छोटी दिवाली पर 14 दीए भी जलाते हैं। इनमें से 13 दीए शुभ कार्यों के लिए और 14वां दीया यमदेवता के लिए जलाया जाता है। यमदेवता को अमावस्या का स्वामी माना जाता है। इसलिए, इस दिन उनकी पूजा की जाती है।
छोटी दिवाली पर दीए जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
छोटी दिवाली पर दीयों को जलाने के स्थान (Places to light Diyas on Chhoti Diwali)
छोटी दिवाली में दिए कहा कहा जाए जाते हैं के बारे में नीचे दिया गया है:–
- घर के मुख्य द्वार:
घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर की रक्षा होती है।
- मंदिर:
मंदिर में दीया जलाने से देवी-देवताओं की कृपा मिलती है।
- रसोईघर:
रसोईघर में दीया जलाने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
- पीने के पानी के पास:
पीने के पानी के पास दीया जलाने से पानी शुद्ध होता है और घर में बीमारियां नहीं फैलती हैं।
- पीपल के पेड़ के पास:
पीपल के पेड़ के पास दीया जलाने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- घर के बाहर कूड़े के ढेर के पास:
घर के बाहर कूड़े के ढेर के पास दीया जलाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- यमदेवता के लिए दीया
कुछ लोग छोटी दिवाली पर 14 दीए भी जलाते हैं। इनमें से 13 दीए शुभ कार्यों के लिए और 14वां दीया यमदेवता के लिए जलाया जाता है। यमदेवता को अमावस्या का स्वामी माना जाता है। इसलिए, इस दिन उनकी पूजा की जाती है। यमदेवता के लिए दीया जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
नरक चतुर्दशी की पूजा विधि (Puja Vidhi of Narak Chaturdashi)
नरक चतुर्दशी की पूजा विधि निम्नलिखित है:
नरक चतुर्दशी को प्रातः काल पूजा:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- साफ और सुंदर कपड़े पहनें।
- घर को साफ-सुथरा करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
- भगवान श्रीकृष्ण, मां काली, और यमराज की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
नरक चतुर्दशी की पूजा सामग्री:
- दीप
- फूल
- धूप
- नैवेद्य (फल, मिठाई, आदि)
- यम तर्पण सामग्री (चावल, तिल, जल, आदि)
नरक चतुर्दशी की पूजा विधि:
- भगवान श्रीकृष्ण, मां काली, और यमराज को नमस्कार करें।
- भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें।
- मां काली की आरती करें।
- यमराज की आरती करें।
- यम तर्पण करें।
- भगवान श्रीकृष्ण, मां काली, और यमराज से प्रार्थना करें कि वे सभी को सुख, समृद्धि, और दीर्घायु प्रदान करें।
नरक चतुर्दशी को शाम की पूजा
- शाम को घर के बाहर दीप जलाएं।
- यमराज के नाम से दीपदान करें।
नरक चतुर्दशी की पूजा के लाभ (Benefits of worshiping Narak Chaturdashi)
- अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
- सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
- कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- पापों से मुक्ति मिलती है।
नरक चतुर्दशी की पूजा सभी के लिए शुभ होती है। इस दिन सभी को भगवान श्रीकृष्ण, मां काली, और यमराज की पूजा करनी चाहिए।
निष्कर्ष:
इस छोटी दिवाली, नरक चतुर्थी के आध्यात्मिक रौंग में डूबें, दीपों को जलाएं और त्योहारिक परंपराओं में भाग लें। इन दीपों की चमक से न केवल आपके आसपास का वातावरण रौंगते खड़ा करेगा, बल्कि यह आपके हृदय को भी खुशी, शांति और दीपावली की सद्गुण स्प्रित से भर देगा। इस शुभ अवसर की सांगीतिक समृद्धि को अपनेपन से गले लगाएं और इसे अपने प्रियजनों के साथ साझा करें।
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