Happy Diwali 2023: दिवाली में राम जी की पूजा क्यों नहीं होती?
Happy Diwali 2023: दिवाली में श्रीराम और सीता की पूजा का विशिष्ट कारण नहीं होता, परंतु यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी का उत्सव है।
Happy Diwali 2023
दिवाली, भारतीय उपमहाद्वीप में एक उत्कृष्ट पर्व है जो भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण के अयोध्या लौटने की महत्वपूर्ण घटना के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, इस पर्व में श्रीराम और सीता की विशेष पूजा नहीं होती है, यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है जो अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संकेत करता है।
मुख्य विचार:
- दिवाली का पर्व प्रकाश पर अंधकार की विजय का प्रतीक है।
- दिवाली का पर्व नव वर्ष का आगमन भी माना जाता है।
- दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में धन, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है।
- दिवाली के दिन गणेश जी की पूजा करने से घर में बुद्धि और ज्ञान का आगमन होता है।
- भगवान राम और सीता की पूजा का संबंध भगवान विष्णु से है।
- भगवान विष्णु की पूजा चातुर्मास के दौरान नहीं की जाती है।
- इसलिए दिवाली के दिन भगवान राम और सीता की पूजा नहीं की जाती है।
दिवाली हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह प्रकाश पर अंधकार की विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके दीवारों पर रंग-बिरंगे चित्र बनाते हैं। घरों के बाहर और अंदर दीपक जलाते हैं। मिठाइयां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं।
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दिवाली में श्रीराम और सीता की पूजा क्यों नहीं होती? (Why are Shri Ram and Sita not worshiped during Diwali?)
दिवाली के दिन भगवान राम और सीता की पूजा क्यों नहीं की जाती, इसके पीछे कई कारण हैं। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
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दिवाली के दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे
इस अवसर पर अयोध्यावासियों ने भगवान राम की बहुत जय-जयकार की थी। लेकिन उस समय अयोध्या में भगवान विष्णु की पूजा होती थी। इसलिए दिवाली के दिन भगवान राम की पूजा करने की परंपरा नहीं बनी।
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भगवान राम और सीता की पूजा का संबंध भगवान विष्णु से है
भगवान विष्णु की पूजा चातुर्मास के दौरान नहीं की जाती है। चातुर्मास की अवधि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से देवउठनी एकादशी तक होती है। दिवाली का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इसलिए दिवाली के दिन भगवान राम और सीता की पूजा नहीं की जाती है।
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दिवाली का पर्व प्रकाश पर अंधकार की विजय का प्रतीक है
लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है। गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान के देवता माना जाता है। इसलिए दिवाली के दिन इन दोनों देवताओं की पूजा करने से घर में धन, समृद्धि, सौभाग्य और बुद्धि का आगमन होता है।
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दिवाली का पर्व नव वर्ष का आगमन भी माना जाता है
लक्ष्मी जी को नव वर्ष की देवी माना जाता है। इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से नए साल में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हालांकि, कुछ स्थानों पर दिवाली के दिन भगवान राम और सीता की भी पूजा की जाती है। यह परंपरा मुख्य रूप से दक्षिण भारत में प्रचलित है।
निष्कर्ष:
दिवाली, एक ऐसा उत्सव है जिसमें लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और सजगता, समृद्धि, और सौभाग्य की कामना करते हैं। श्रीराम और सीता की कथा इसे एक अद्वितीय और प्रेरणादायक पर्व बनाती है, जो विभिन्न आयोजनों, पूजा-अर्चना, और मिठाईयों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। इस लेख से आप जान पाए की दिवाली में श्रीराम और सीता की पूजा क्यों नहीं होती?
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