Navratri Kanjak Pujan: शारदीय नवरात्रि 2023 कन्या पूजन किस दिन है?
Navratri Kanjak Pujan: नवरात्रि में कन्या पूजन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस दिन, भक्त नौ कन्याओं की पूजा करते हैं, जिन्हें देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है।
Navratri Kanjak Pujan
नवरात्रि उत्सव के दौरान कंजक पूजा का भी उतना ही महत्व है जितना कि दुर्गा पूजा का। “देवी पुराण” के अनुसार, जब भगवान इंद्र ने भगवान ब्रह्मा से पूछा कि मां भगवती को कैसे प्रसन्न किया जाए तो भगवान ब्रह्मा ने उन्हें बताया कि इसके लिए कन्या पूजन सबसे अच्छा तरीका है। कन्या पूजा/ कुमारी पूजा (Kanya Puja/ Kumari Puja) एक प्रमुख प्रथा है जिसके बिना मां दुर्गा की साधना अधूरी है। कन्या पूजा/ कंजक (Kanya Pujan/ Kanjak) नौ युवा लड़कियों को आमंत्रित करके मनाई जाती है जो मां अंबा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसे कंजक पूजा भी कहा जाता है, नौ लड़कियाँ शुद्ध रचनात्मक शक्तियों का प्रतीक हैं। कन्या पूजन पूरा होने के बाद ही नवरात्रि व्रत पूरा किया जाता है।
आइए Navratri Kanya Pujan के पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व, मंत्र, नियम आदि के बारे में विस्तार से पंडित जितेंद्र व्यास जी की ओर से जानें।
कन्या पूजन क्या है? (What is Kanya Pujan)
शारदीय कन्या पूजन नवरात्रि के महान पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें नौ या अन्य संख्या में कन्याएँ (जो बच्चियाँ होती हैं) पूजी जाती हैं। इस परंपरा में, युवा कन्याएँ देवी दुर्गा के रूप में प्रतिष्ठित की जाती हैं, जिससे उन्हें श्रेष्ठता, साहस, और आत्म-समर्पण की प्रतीति की जाती है। यह परंपरा नारी शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट करती है और उन्हें समाज में श्रेष्ठता के साथ स्थान देती है।
कंजक का अर्थ क्या है? (What is Kanjak?)
कंजक पूजन में “कंजक” का अर्थ है एक प्रकार की पूजा जो नवरात्रि के दौरान की जाती है। इस पूजा में नौ या एक संख्या में कन्याएँ (छोटी लड़कियाँ) पूजी जाती हैं। “कंजक” शब्द संस्कृत शब्द “कंज” से आया है, जिसका अर्थ होता है “अन्न” या “आटा”।
कन्या पूजन में, आमतौर पर चना, सूजी, और गुड़ का उपयोग किया जाता है जिससे एक प्रकार की हलवा बनता है, जिसे “कंजक” कहा जाता है। यह हलवा नौ दिनों के दौरान नौ कन्याओं को अर्पित किया जाता है जिससे उन्हें पूजा जाता है और प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।
इस पूजा का मुख्य उद्देश्य यह है कि इन कन्याओं की पूजा करके मां दुर्गा की आशीर्वाद प्राप्ति की जाती है और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और सम्मान की प्राप्ति होती है।
कंजक पूजा 2023 तिथि या कन्या पूजा 2023 तिथि (Kanjak Puja 2023 Date or Kanya Puja 2023 Date)
ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन (कंजक) के बिना, नवरात्रि अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दौरान आध्यात्मिक उत्साह चरम पर होता है। कई लोग इन दिनों में घर पर हवन भी करते हैं। भक्तों को नवरात्रि के आठवें दिन कन्या पूजन या नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजन करना चाहिए। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के दौरान, कन्या पूजा 2023 की तारीखें नीचे सूचीबद्ध हैं।
कंजक 2023 तिथि:
शारदीय नवरात्रि 2023 का आठवां दिन – 22 अक्टूबर, 2023
शारदीय नवरात्रि 2023 का नौवां दिन – 23 अक्टूबर, 2023
कंजक पूजा 2023 शुभ मुहूर्त या कन्या पूजा 2023 शुभ मुहूर्त (Kanjak Puja 2023 Shubh Muhurat or Kanya Puja 2023 Shubh Muhurat):
कन्या पूजन दुर्गा अष्टमी और महानवमी को किया जाता है। इसलिए अपनी दोनों दिनों का शुभ मुहूर्त देख सकते हैं:–
दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन का मूहर्त
तिथि: 22 अक्टूबर 2023
समय: सुबह 6:26 से शाम 6:44 बजे तक
कुल समय: 10 घंटे 18 मिनिट
महानवमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त
तिथि: 23 अक्टूबर 2023
समय: सुबह 6: 27 से शाम 5:14 बजे तक
कुल समय: 10 घंटे 47 मिनट
शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व (Importance of Kanya Puja in Shardiya Navratri)
- आत्म-समर्पण: कन्या पूजन में कन्याएँ अपना सबसे अच्छा रूप प्रस्थापित करके दिखाती हैं, जिससे उनका समर्पण और भक्ति भगवानी के सामने प्रकट होता है।
- नारी की महत्वपूर्णता: यह पूजा नारी की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट करती है और उन्हें समाज में न्याय और सम्मान की ओर बढ़ाती है।
- आत्म-सम्मान: कन्या पूजन से कन्याएँ अपने आत्म-सम्मान की भावना से भरी रहती हैं, जो उन्हें समाज में सम्मानित बनाती है।
- आदिशक्ति की प्रतिष्ठा: यह पूजा आदिशक्ति मां दुर्गा की प्रतिष्ठा करती है, जिससे नारी अपनी अद्वितीयता और शक्ति महसूस करती है।
कन्या पूजन का यह आयोजन नारी शक्ति की महत्वपूर्णता को समझाता है और समाज में उनकी स्थान को समझने में मदद करता है। इस पूजा में भाग लेने से न केवल धार्मिक भावना उत्थित होती है, बल्कि समाज में नारी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाने का एक महत्वपूर
नवरात्रि कन्या पूजन विधि (Navratri Kanya Pujan Vidhi)
कन्या पूजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे नवरात्रि के आठवें दिन या नवरात्रि के नौवें दिन किया जाता है। इस दिन नौ कन्याओं की पूजा की जाती है, जिन्हें देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। कन्या पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
कन्या पूजन की विधि निम्नलिखित है:
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कन्याओं को आमंत्रित करें:
सबसे पहले, नौ कन्याओं को आमंत्रित करें। कन्याओं की उम्र 10 साल से कम होनी चाहिए। कन्याओं को साफ-सुथरा और सुंदर कपड़े पहनाए जाने चाहिए।
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कन्याओं को बैठाएं:
कन्याओं को एक साथ बैठाएं। कन्याओं को एक पंक्ति में बैठाना सबसे अच्छा है।
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कन्याओं को पूजन सामग्री दें:
सभी कन्याओं को रोली, अक्षत, फूल, प्रसाद और दक्षिणा दें।
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कन्याओं के माथे पर तिलक लगाएं:
लाल या गुलाबी रंग का सिंदूर या कुमकुम का उपयोग करके कन्याओं के माथे पर तिलक लगाएं।
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कन्याओं को प्रसाद दें:
कन्याओं को आम, केला, मिठाई, फल आदि प्रसाद दें।
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कन्याओं को भोजन कराएं:
कन्याओं को हल्का और पौष्टिक भोजन कराएं।
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कन्याओं को दक्षिणा दें:
कन्याओं को दक्षिणा दें। दक्षिणा के रूप में 11 रुपये, 111 रुपये या 1001 रुपये देने का भी चलन है।
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कन्याओं से आशीर्वाद लें:
कन्याओं से आशीर्वाद लें और उन्हें धन्यवाद दें।
Navratri Makeup Look
नवरात्रि कन्या पूजन मंत्र (Navratri Kanya Pujan Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु ‘कन्या ‘ रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
ॐ श्री दुं दुर्गायै नमः ।।
ॐ श्री कुमार्यै नमः ।।
ॐ श्री त्रिगुणात्मिकायै नमः ।।
कन्या पूजन में एक बालक को क्यों बैठाते हैं (Why Is A Boy Made To Sit In Kanya Puja?)
कन्या पूजन में एक बालक को बैठाने के पीछे दो कारण हैं:
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बालक को भैरव का रूप माना जाता है–
भैरव को देवी दुर्गा का रक्षक माना जाता है। इसलिए, कन्या पूजन में बालक को बैठाने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और पूजन सफल होती है।
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बालक को ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है–
नवरात्रि कन्या पूजन से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है। इसलिए, कन्या पूजन में बालक को बैठाने से यह लाभ प्राप्त होता है।
कन्या पूजन में बैठने वाले बालक को “लंगूर” या “लांगुरिया” कहा जाता है। लंगूर को भी भैरव का रूप माना जाता है।
कंजक पूजन के लिए कन्या की आयु (Age Of Girls For Kanjak Puja)
देवी भागवत पुराण के अनुसार भक्तों को कंजक पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष तक की छोटी कन्याओं को ही आमंत्रित करना चाहिए। कन्या पूजन बालक के बिना पूरा नहीं होता इसलिए भक्तों को एक छोटे बालक को भी आमंत्रित करना चाहिए, जिसे भगवान हनुमान का रूप माना जाता है। अगर घर में नौ से अधिक छोटी कन्याएं हैं तो यह समस्या नहीं है, आपको उनका भी स्वागत करना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए।
कन्या पूजन में कितनी कन्या होनी चाहिए? (How Many Girls Should Be There in Kanya Puja?)
कन्या पूजन में लड़कियों की संख्या 9 होनी चाहिए। कन्याओं की उम्र 10 साल से कम होनी चाहिए। कन्याओं को साफ-सुथरा और सुंदर कपड़े पहनाए जाने चाहिए।
नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। इन नौ रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं।
हालांकि, कुछ लोग कन्या पूजन में 7 या 5 कन्याओं की भी पूजा करते हैं। लेकिन, 9 कन्याओं की पूजा को सबसे शुभ माना जाता है।
कन्या पूजन के लिए पूजन सामग्री की सूची (List of Puja Materials for Kanya Puja)
- नौ कन्याएं
- पूजा का आसन
- पूजा का थाली
- दीप
- धूप
- अगरबत्ती
- शंख
- घंटी
- रोली
- नारियल
- अक्षत
- फूल
- फल
- प्रसाद
- दक्षिणा
- भोजन सामग्री
कन्या पूजन के लिए भोज सामग्री की सूची (List Of Bhoj Items For Kanya Puja)
- हलवा
- पूड़ी
- दाल
- चावल
- फल
- मिठाई
कन्या पूजन के लिए उपहार (Gifts for Kanya Pujan)
- कपड़े
- जूते
- बर्तन
- खिलौने
- पैसे
कन्या पूजन करने के फायदे Benefits of Kanya Pujan)
कन्या पूजन से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- मां दुर्गा की कृपा–
कन्याओं को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
- जीवन में सुख-शांति और समृद्धि–
कन्याओं को पवित्र और शुभ माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- पापों से मुक्ति–
कन्या पूजन से पापों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य प्राप्त होता है।
- बुद्धि और विद्या में वृद्धि–
कन्या पूजन से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है।
कन्या पूजन के नियम (Rules Of Kanya Pujan)
कन्या पूजन करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। इन नियमों में शामिल हैं:
- कन्या पूजन के लिए कम से कम 9 कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए।
- एक बालक को भी भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए।
- कन्याओं को साफ-सुथरे कपड़े पहनाने चाहिए।
- कन्याओं को भोजन और उपहार देने चाहिए।
- कन्याओं की पूजा के बाद उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए।
- कन्याओं को विदा करते समय उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए।
- कन्या पूजन के दौरान सभी अनुष्ठानों को विधि-विधान से करना चाहिए।
नवरात्रि में कन्या पूजन के पीछे की कहानी (Story behind Kanya Puja in Navratri)
कन्या पूजन की प्राचीन कथा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, दक्ष राजा नामक एक प्रजापति थे जिनकी बेटी सती थी। सती ने भगवान शिव से विवाह किया था, लेकिन उनके पिता दक्ष राजा शिवजी को प्रमुख स्थान नहीं देने का विचार कर रहे थे।
एक दिन, दक्ष राजा ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया और सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी सती और शिवजी को नहीं आमंत्रित किया। सती, जो अपने पति की अपमान को नहीं सह सकी, ने यज्ञ के चरण में अपने शरीर को आग लगा दिया।
इस घटना के बाद, जब भगवान शिव ने यह समाचार सुना, तो उनका क्रोध अत्यंत उग्र हुआ। उन्होंने अपने भूत-प्रेत रूप में दक्ष यज्ञ में प्रवेश किया और वहाँ कन्या पूजन की परंपरा की शुरुआत की। उन्होंने शर्मिंदा दक्ष राजा को उसी यज्ञ के मेंढ़ के सिर का परिणाम बताया, जिससे यह परंपरा चली आ रही है।
इस कथा से कन्या पूजन की प्रथा का आरंभ हुआ और यह धार्मिक महत्वपूर्णता रखती है, जिसमें नौ या अन्य संख्या की कन्याएँ शक्ति की प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में पूजी जाती हैं।
निष्कर्ष:
Navratri Kanjak Pujan या कन्या पूजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
Navratri Kanjak Pujan: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्र: नवरात्रि में कन्या पूजन कब करना चाहिए?
उत्तर: नवरात्रि में कन्या पूजन आमतौर पर अष्टमी और नवमी के दिन किया जाता है। अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है और नवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन दोनों दिनों को कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
प्रश्र: नवरात्रि के कन्या पूजन कैसे करते हैं?
उत्तर: कन्या पूजन में कन्याओं की पैर पूजा की जाती है, उन्हें विशेष रूप में सजाया जाता है, उन्हें कन्या कहकर बुलाया जाता है और उनको प्रसाद के रूप में हलवा, पूरी, और चना दिया जाता है।
प्रश्र: कन्या पूजन में क्या क्या खिलाना चाहिए?
उत्तर: कन्या पूजन में कन्याओं को हलवा, पूड़ी, फल, और अन्य मीठे व्यंजन खिलाए जाते हैं।
प्रश्र: कन्या पूजन से क्या होता है?
उत्तर: कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि, धन-धान्य और आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं।
प्रश्र: कन्याओं को दक्षिणा में क्या देना चाहिए?
उत्तर: कन्याओं को दक्षिणा में पैसे, मिठाई, और अन्य उपहार दिए जाते हैं।
प्रश्र: कन्या पूजन में कितनी कन्या होनी चाहिए?
उत्तर: कन्या पूजन में आमतौर पर नौ कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हालांकि, अगर आप नौ कन्याओं को आमंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो आप कम भी आमंत्रित कर सकते हैं।
प्रश्र: कन्या कब खिलाना चाहिए?
उत्तर: कन्याओं को कन्या पूजन के बाद भोजन कराया जाता है। भोजन को देवी दुर्गा को समर्पित माना जाता है।
प्रश्र: कन्या पूजन 2023 का शुभ मुहूर्त कब है?
उत्तर: अष्टमी
तिथि: 22 अक्टूबर, 2023
समय: सुबह 6:26 से शाम 6:44 तक
कुल समय: 10 घंटे 18 मिनट
नवमी
तिथि: 23 अक्टूबर, 2023
समय: सुबह 6:27 से शाम 5:14 तक
कुल समय: 10 घंटे 47 मिनट
प्रश्र: कंजक पूजन क्या होता है?
उत्तर: कंजक पूजन भी नवरात्रि में किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। कंजक का अर्थ है “कुमारी”। कंजक पूजन में नौ कुमारियों की पूजा की जाती है।
प्रश्र: कंजक पूजन में क्या क्या बनाया जाता है?
उत्तर: कंजक पूजन में आमतौर पर हलवा, पूड़ी, फल, और अन्य मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं।
प्रश्र: कन्या पूजन का मंत्र क्या है?
उत्तर: ॐ नमस्ते अष्टभुजा देवी,
सुंदर रूपे सुशोभने।
सर्वकामना पूरणे,
शत्रु नाश करी सदा।
ॐ नमस्ते कन्या देवे,
कुमारी रूपे सुशोभने।
सर्व मनोरथ पूरणे,
कष्ट भंजन करी सदा।
ॐ नमस्ते कन्या देवे,
कुमारी रूपे सुशोभने।
सर्व सुख संपदा देई,
कल्याण करी सदा।
प्रश्र: नवरात्रि के कन्या पूजन क्यों किया जाता है?
उत्तर: नवरात्रि में कन्या पूजन करने के कई कारण हैं। इनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं: मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए, कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति मजबूत करने के लिए, सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, दान और पुण्य के लिए।
प्रश्र: कन्या पूजन के लिए कन्याओं की आयु कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए कन्याओं की आयु 2 से 10 वर्ष के बीच होनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस आयु में कन्याएं सबसे शुद्ध और पवित्र होती हैं।
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