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Chhath Puja 2023: बिहार में नाक से मांग तक सिंदूर क्यों लगाते हैं?

Chhath Puja 2023: बिहार में नाक से मांग तक सिंदूर का आदान-प्रदान और इसका महत्व। जानें छठ पूजा के रूप-रंग और सामंजस्य भरे परंपरागत रीतिवाज से जुड़ी रोचक जानकारी।

Chhath Puja 2023

छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह सूर्य देव, छठी मइया और गंगा नदी की पूजा का पर्व है। छठ पूजा के दौरान, महिलाएं विशेष रूप से सुंदर और आकर्षक दिखने के लिए तैयार होती हैं। उनके श्रृंगार में नाक से मांग तक सिंदूर लगाना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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नाक से मांग तक सिंदूर लगाने का धार्मिक महत्व (Religious Importance Of Applying Sindoor From Nose To Forehead)

हिंदू धर्म में, सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। यह पति-पत्नी के बीच के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। छठ पूजा में, महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाकर अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

सिंदूर को देवी लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। माना जाता है कि सिंदूर लगाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। छठ पूजा में, महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाकर देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने की कामना करती हैं।

chhath puja rituals

नाक से मांग तक सिंदूर लगाने का सामाजिक महत्व (Social Significance Of Applying Sindoor From Nose To Forehead)

नाक से मांग तक सिंदूर लगाना बिहारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह महिलाओं की सुंदरता और आकर्षण को बढ़ाता है। इसके अलावा, यह समाज में महिलाओं की शादीशुदा स्थिति का भी प्रतीक है।

  • छठ पूजा में, महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाकर अपनी शादीशुदा स्थिति को दर्शाती हैं। यह समाज में उन्हें सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाता है।
  • बिहारी संस्कृति में, नाक को महिलाओं की सुंदरता और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है। नाक से मांग तक सिंदूर लगाने से महिलाओं की सुंदरता और आकर्षण में और भी वृद्धि होती है।
  • छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है। नाक से मांग तक सिंदूर लगाने से महिलाएं सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने की कामना करती हैं।

छठ पूजा 2023 में नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के लिए कुछ सुझाव

  • सिंदूर लगाने से पहले, अपनी त्वचा को साफ और मॉइस्चराइज करें। इससे सिंदूर आसानी से लगाएगा और टूटेगा नहीं।
  • एक अच्छी गुणवत्ता वाला सिंदूर चुनें जो प्राकृतिक और सुरक्षित हो।
  • सिंदूर लगाते समय, अपने माथे के केंद्र से शुरू करें और धीरे-धीरे अपनी नाक तक ले जाएं।
  • सिंदूर को एक समान रूप से लगाने के लिए, एक छोटा सा ब्रश या ऊंगली का उपयोग करें।
  • छठ पूजा एक शुभ अवसर है। इस दिन, नाक से मांग तक सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

सिंदूर लगाने के नियम (Rules for Applying Sindoor)

  • सिंदूर हमेशा नाक से मांग तक लगाया जाता है।
  • सिंदूर लगाने से पहले, महिलाओं को अपने पति के पैर छूने चाहिए।
  • महिलाओं को केवल लाल रंग या नारंगी रंग का सिंदूर लगाना चाहिए।
  • सिंदूर लगाने से पहले, महिलाओं को स्नान करके शुद्ध होना चाहिए।
  • सिंदूर लगाने के बाद, महिलाओं को एक विशेष प्रार्थना या मंत्र पढ़ना चाहिए।

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छठ पूजा में नरंगी सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है? (Why Is Only Orange Sindoor Applied In Chhath Puja?)

नारंगी सिंदूर को भखरा भी कहा जाता है। नारंगी सिंदूर को बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से छठ पूजा के दौरान लगाया जाता है। नारंगी सिंदूर लगाने के पीछे कई मान्यताएं हैं।

पौराणिक मान्यता:

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने जब रक्तबीज राक्षस का वध किया, तो उनका सिंदूर उनकी नाक तक फैल गया। इसी घटना के बाद से, बिहार और झारखंड में महिलाएं छठ पूजा के दौरान नाक से मांग तक नारंगी सिंदूर लगाती हैं।

धार्मिक मान्यता:

एक अन्य धार्मिक मान्यता के अनुसार, नारंगी सिंदूर को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि नारंगी सिंदूर लगाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। छठ पूजा में, महिलाएं नारंगी सिंदूर लगाकर देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने की कामना करती हैं।

सांस्कृतिक मान्यता:

नारंगी सिंदूर लगाने की एक सांस्कृतिक मान्यता भी है। बिहार और झारखंड में, नारंगी रंग को सूर्य देव का प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा में, महिलाएं नारंगी सिंदूर लगाकर सूर्य देव की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करती हैं।

निष्कर्ष:

छठ पूजा एक शुभ अवसर है। छठ पूजा में नाक से मांग तक सिंदूर लगाना एक महत्वपूर्ण प्रथा है जो धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है।

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