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Day 4 Sharad Navratri 2023: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा कैसे करें

Day 4 Sharad Navratri 2023: 18 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि का चौथा दिन है। शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस लेख में आपको मां कुष्मांडा के बारे में विस्तार से बताया गया है, जिसमें उनकी पूजा विधि, मंत्र, स्तुति, स्त्रोत, भोग, आरती और रंग शामिल हैं।

Day 4 Sharad Navratri 2023

नवरात्रि पूजा के चौथे दिन, भक्त देवी कुष्मांडा की पूजा करते हैं जो देवी दुर्गा के नौ अवतारों में से एक रूप हैं। कुष्मांडा माँ के अन्य प्रसिद्ध नाम “आदिशक्ति”, “आदिस्वरूप” और “अष्टभुजा” देवी या “अष्टभुजाधारी” देवी हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ब्रह्मांड का निर्माण शुरू कर रहे थे तो देवी कुष्मांडा मुस्कुराईं और आगे बढ़ीं और इस तरह पूरा ब्रह्मांड अस्तित्व में आया। चारों ओर सदैव अंधकार था और किसी भी चीज़ का अस्तित्व नहीं था, तब उन्होंने अपनी दिव्य मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की।  नवरात्रि पूजा का चौथा दिन अन्य दिनों की तरह ही किया जाता है, जहां कलश और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, उसके बाद भक्तों द्वारा कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। कूष्मांडा देवी की पूजा के बाद चौथे दिन भक्तों को भगवान शिव और ब्रह्मा की पूजा करनी चाहिए।

तो आइए मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, स्तुति, भोग और रंग के बारे में विस्तार से पंडित जितेंद्र व्यास जी की ओर से जानें।

Day 4 Sharad Navratri 2023

और पढ़ें: नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा कैसे करें

जानें कौन है मां कुष्मांडा? (Who Is Maa Kushmanda?)

मां कुष्मांडा हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा की एक अवतार हैं। वह नवरात्रि के नौ दिनों में त्रितीया दिवस को पूजी जाती हैं। मां कुष्मांडा का नाम ‘कुष्म’ और ‘अंड’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “बीजों की महिला”। उन्हें एक सुंदर चेहरा, चार हाथ, और चार शिर होते हैं। मां कुष्मांडा की पूजा से भक्तों को शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

संस्कृत भाषा में, “कुष्मांड” का अर्थ ‘कद्दू’ है, इसलिए कई लोग देवी को कद्दू की बलि देते हैं। यह एक और कारण है, उन्हें “कुष्मांडा माँ” के नाम से जाना जाता है।

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शारदीय नवरात्रि चौथा दिन 2023 तिथि (Shardiya Navratri 4th Day 2023 Date)

इस साल 2023 में नवरात्रि उत्सव का चौथा दिन 18 अक्टूबर 2023, बुधवार को होगा। कुष्मांडा देवी ब्रह्मांड की रचयिता हैं। कुष्मांडा का अर्थ है, कु+उष्मा+अंडा यानी “ब्रह्मांडीय अंडा”।  पहला शब्द “कू” का अर्थ है “छोटा”, दूसरे शब्द “उषा” का अर्थ है “गर्मी” और अंतिम तीसरे शब्द “अंडा” का अर्थ है “अंडे”।  उन्होंने पूरे ब्रह्मांड को छोटे ब्रह्मांडीय अंडों की तरह बनाया।

➧ शरद नवरात्रि 2022 का चौथा दिन –

तिथि: 18 अक्टूबर 2023, (बुधवार)

➧ नवरात्रि के चौथे दिन पहनने का रंग –

पीला रंग का कपड़ा

➧ नवरात्रि के चौथे दिन चढ़ाने योग्य प्रसाद  

मालपुआ

➧ नवरात्रि के चौथे दिन करने योग्य दा 

सुंदर वस्त्र, रूमाल, रिबन

➧ नवरात्रि के चौथे दिन चढ़ाए जाने वाला फूल – 

लाल रंग के फूल

मां कुष्मांडा की पूजा विधि (Maa Kushmanda Puja Vidhi)

पूजा की सामग्री:

  • मां कुष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर
  • लाल या हरे रंग का कपड़ा
  • कुमकुम, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि
  • कुम्हड़ा, दही, हलवा, फल, सूखे मेवे आदि
  • मां कुष्मांडा के मंत्र
  • मां कुष्मांडा की आरती

पूजा विधि:

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
  • मां कुष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर को लाल या हरे रंग के कपड़े पर स्थापित करें।
  • मां को कुमकुम, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • मां कुष्मांडा के मंत्रों का जाप करें।
  • मां कुष्मांडा की आरती करें।

Sharad Navratri 2023मां कुष्मांडा का मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

Om Devi Kushmandayai Namah॥

मां कुष्मांडा की प्रार्थना (Maa Kushmanda Prarthana)

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

Surasampurna Kalasham Rudhiraplutameva Cha।

Dadhana Hastapadmabhyam Kushmanda Shubhadastu Me॥

मां कुष्मांडा स्तुति (Maa Kushmanda Stuti)

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Kushmanda Rupena Samsthita।

Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥

मां कुष्मांडा ध्यान (Maa Kushmanda Dhyana)

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

Vande Vanchhita Kamarthe Chandrardhakritashekharam।

Simharudha Ashtabhuja Kushmanda Yashasvinim॥

Bhaswara Bhanu Nibham Anahata Sthitam Chaturtha Durga Trinetram।

Kamandalu, Chapa, Bana, Padma, Sudhakalasha, Chakra, Gada, Japawatidharam॥

Patambara Paridhanam Kamaniyam Mriduhasya Nanalankara Bhushitam।

Manjira, Hara, Keyura, Kinkini, Ratnakundala, Manditam॥

Praphulla Vadanamcharu Chibukam Kanta Kapolam Tugam Kucham।

Komalangi Smeramukhi Shrikanti Nimnabhi Nitambanim॥

मां कुष्मांडा स्त्रोत (Maa Kushmanda Stotra)

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

Durgatinashini Tvamhi Daridradi Vinashanim।

Jayamda Dhanada Kushmande Pranamamyaham॥

Jagatamata Jagatakatri Jagadadhara Rupanim।

Charachareshwari Kushmande Pranamamyaham॥

Trailokyasundari Tvamhi Duhkha Shoka Nivarinim।

Paramanandamayi, Kushmande Pranamamyaham॥

मां कुष्मांडा कवच (Maa Kushmanda Kavacha)

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।

हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,

पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥

Hamsarai Mein Shira Patu Kushmande Bhavanashinim।

Hasalakarim Netrecha, Hasaraushcha Lalatakam॥

Kaumari Patu Sarvagatre, Varahi Uttare Tatha,

Purve Patu Vaishnavi Indrani Dakshine Mama।

Digvidikshu Sarvatreva Kum Bijam Sarvadavatu॥

मां कुष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Aarti)

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां कुष्मांडा की कथा (Maa Kushmanda Katha) 

मां कुष्मांडा कथा हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है।

कलियुग में, जब राक्षस राजा शुम्ब्नि और निशुम्ब्नि नामक दैत्य राजा समुद्र में शाक्ति पूजा के बिना विजय प्राप्त करना चाहते थे, तब देवी दुर्गा ने अपनी दिव्य शक्तियों से युक्त होकर मां कुष्मांडा के रूप में प्रकट हुईं।

मां कुष्मांडा के रूप में, वह चार भुजाओं से युक्त थीं, और उनका एक भगवान सूर्य की तरह चमकता हुआ मुखद्वार था। उन्होंने अपनी भयंकर रूप दिखाकर राक्षसों को मारकर शक्ति की जीत प्रदान की। इसके परिणामस्वरूप, धरती पर समृद्धि, शांति, और सुख का वातावरण स्थापित हुआ।

यह कथा दिखाती है कि भगवानी की शक्ति और श्रद्धा से युक्त भक्त अपने लक्ष्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है।

क्षमा याचना मंत्र (Kshama Yachna Mantra)

पूजा के अंत में क्षमा मांगने के लिए यह मंत्र जरूर बोले, ताकि आपसे कोई भी भूल चूक हुई हो तो मां कुष्मांडा उसे माफ कर दें:–

। आह्वानं न जानामि न जानामि तवार्चनम्।। 

॥ पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां भगवान।। 

। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। ।।

॥ यत्पूजितं मया देव उत्तम तदस्मतु।।

मां कुष्मांडा की विशेषता (Characteristics of Maa Kushmanda)

मां कुष्मांडा की विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • मां कुष्मांडा को सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
  • मान्यता है कि मां कुष्मांडा के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • मां कुष्मांडा की उपासना से सभी रोग दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। उनकी सात भुजाओं में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है।
  • मां कुष्मांडा सिंह पर सवार रहती हैं।
  • मां कुष्मांडा की उपासना से सभी रोग दूर होते हैं।
  • मां कुष्मांडा की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • मां कुष्मांडा की उपासना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • मां कुष्मांडा की उपासना से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।

Sharad Navratri 2023

Day 4 Sharad Navratri 2023: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्र: कुष्मांडा देवी कौन है?

उत्तर: मां कुष्मांडा हिन्दू धर्म की देवी दुर्गा की एक अवतार है।

प्रश्र: कुष्मांडा माता की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर: कुष्मांडा माता की पूजा से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है।

प्रश्र: कुष्मांडा का अर्थ क्या है?

उत्तर: “कुष्म” और “अंड” से मिलकर “बीजों की महिला” का अर्थ है।

प्रश्र: मां कुष्मांडा को कौन सा रंग पसंद है?

उत्तर: मां कुष्मांडा को लाल और हरे रंग बहुत पसंद हैं। इनकी पूजा के दौरान इन रंगों का विशेष महत्व होता है।

प्रश्र: कुष्मांडा माता को क्या चढ़ाना चाहिए?

उत्तर: कुष्मांडा माता को कुम्हड़ा, लाल फूल, लाल वस्त्र, अक्षत, रोली, गंध, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि चढ़ाने चाहिए

प्रश्र: कुष्मांडा देवी को कौन सा भोग लगाएं?

उत्तर: कुष्मांडा देवी को मालपुए का भोग बहुत पसंद है। इनके अलावा, इन्हें हलवा, पूरी, पूड़ी, चावल, सब्जी आदि भी भोग लगाया जा सकता है।

प्रश्र: कौन सी देवी बड़ी हैं?

उत्तर: सभी देवियाँ अपने स्वभाव और महत्व में बड़ी हैं, परंतु मां दुर्गा सार्वभौम शक्ति की प्रतीक हैं और उन्हें सबसे बड़ी माना जाता है।

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