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Chhath Puja 2023: पहली बार छठ पूजा कैसे करें और छठ पूजा की कथा

Chhath Puja 2023

छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है जो भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अन्य पूर्वी भारतीय राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है।

छठ पूजा को संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार में व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और फिर पूरे दिन उपवास रखती हैं। शाम को वे भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करती हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करती हैं।

इस साल छठ पूजा 17 नवंबर 2023 से शुरू होगी।

क्या है खरना के नियम और पूजा विधि

छठ पूजा का इतिहास (History of Chhath Puja)

छठ पूजा का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह त्योहार सृष्टि के आरंभ से ही मनाया जा रहा है। छठ पूजा का उल्लेख ऋग्वेद, महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।

छठ पूजा का संबंध सूर्य देव और छठी मैया से है। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है। छठी मैया को संतान की देवी माना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करके व्रती संतान की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।

Chhath Puja

छठ पूजा कब है? (When is Chhath Puja?)

छठ पूजा 2023 में 17 नवंबर से 20 नवंबर तक मनाई जाएगी।

छठ पूजा तिथि और शुभ मुहूर्त (Chhath Puja Date And Shubh Muhurat)

2023 में छठ पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

नहाय-खाय: | 17 नवंबर, शनिवार | सुबह 06:46 से 08:22 तक

खरना: | 18 नवंबर, रविवार | शाम 05:26 से 07:02 तक

संध्या अर्घ्य: | 19 नवंबर, सोमवार | शाम 05:26 से 07:02 तक

उषा अर्घ्य: | 20 नवंबर, मंगलवार | सुबह 06:46 से 08:22 तक

छठ पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)

छठ पूजा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं। छठ पूजा की विधि निम्नलिखित है:

नहाय-खाय: छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।

खरना: छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन व्रती खिचड़ी और अन्य सात्विक भोजन करते हैं। खरना के दिन व्रती भोजन के बाद फिर से उपवास रखती हैं।

संध्या अर्घ्य: छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती शाम को सूर्य को अर्घ्य देते हैं। संध्या अर्घ्य देने के लिए व्रती मिट्टी की बनी छठ मंडप सजाते हैं। इसमें सूर्य देव और छठी मैया की मूर्तियां रखते हैं। फिर, व्रती सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं।

उषा अर्घ्य: छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन उषा अर्घ्य है। इस दिन व्रती सुबह सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उषा अर्घ्य देने के लिए व्रती सुबह नदी या तालाब के किनारे जाते हैं। फिर, वे सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं।

छठ का प्रसाद (Chhath Prasad)

छठ पूजा में विभिन्न प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं। इनमें खिचड़ी, ठेकुआ, पंजीरी, रोटी, पुआ, आदि शामिल हैं।

खिचड़ी छठ पूजा का सबसे प्रमुख प्रसाद है। खिचड़ी में चावल, दाल, घी, नमक, मिर्च, हल्दी, धनिया, जीरा, आदि डालकर बनाई जाती है।

ठेकुआ भी छठ पूजा का एक लोकप्रिय प्रसाद है। ठेकुआ मैदा, सूजी, घी, चीनी, दूध, इलायची, आदि से बनते हैं।

पंजीरी भी छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण प्रसाद है। पंजीरी मैदा, घी, चीनी, दूध, इलायची, आदि से बनती है।

छठ पूजा कथा (Chhath Puja Katha)

छठ पूजा की एक प्रसिद्ध कथा है। इस कथा के अनुसार, एक समय एक पति-पत्नी थे। उनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने छठ पूजा की कथा सुनी और छठ माता की पूजा की। छठ माता की कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

कथा के अनुसार, एक समय एक ब्राह्मण दम्पति थे। उनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने कई उपाय किए, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं हुई। एक दिन, उन्होंने छठ पूजा की कथा सुनी। उन्होंने छठ माता की पूजा की और संतान प्राप्ति की कामना की।

छठ माता की कृपा से उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उन्होंने अपने पुत्र का नाम सूर्यनारायण रखा। सूर्यनारायण बड़े होकर एक विद्वान और शूरवीर राजा बने। उन्होंने अपने राज्य में न्याय और व्यवस्था कायम की।

छठ माता की कृपा से पुत्र प्राप्ति की कथा से प्रेरित होकर, कई लोगों ने छठ पूजा शुरू की। आज, छठ पूजा एक बहुत ही लोकप्रिय त्योहार है।

छठ पूजा की एक अन्य कथा भी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, एक समय एक रानी थी। उसके सात पुत्र थे। एक दिन, उनका सबसे छोटा पुत्र बीमार पड़ गया। रानी ने कई वैद्यों को दिखाया, लेकिन कोई भी उसका इलाज नहीं कर पाया।

एक दिन, एक ऋषि ने रानी को छठ पूजा करने की सलाह दी। रानी ने छठ पूजा की और छठ माता की कृपा से उसका पुत्र ठीक हो गया।

छठ माता की कृपा से पुत्र के ठीक होने की कथा से प्रेरित होकर, कई लोगों ने छठ पूजा शुरू की। आज, छठ पूजा एक बहुत ही लोकप्रिय त्योहार है।

छठ पूजा की कथाओं से पता चलता है कि छठ माता संतान की देवी हैं। छठ पूजा करके संतान प्राप्ति की कामना की जा सकती है।

छठ पूजा गीत (Chhath Puja Songs)

छठ पूजा के गीत छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन गीतों में छठ माता की स्तुति की जाती है। छठ पूजा के गीत मुख्य रूप से भोजपुरी, मैथिली, और अवधी भाषाओं में गाए जाते हैं। 

छठ पूजा के कुछ लोकप्रिय गीत निम्नलिखित हैं:

  • “छठ माई आइल बाड़ी, छठ माई आइल बाड़ी, ओढ़ी लाल साड़ी,

छठ माई आइल बाड़ी।”

  • “केकड़ा चलत बा, छठ माई के दर्शन कराय।”
  • “उगले सूरज देव, उगले सूरज देव, छठ माई के अर्घ्य देव।”
  • “छठ माई के बरसियो हार।”

छठ पूजा के गीत आमतौर पर महिलाओं द्वारा गाए जाते हैं। इन गीतों को छठ पूजा के दौरान नदियों और तालाबों के किनारे गाए जाते हैं

छठ पूजा प्रक्रिया (Chhath Puja Process)

  1. व्रती की तैयारी:

छठ पूजा के लिए व्रती पहले दिन से ही तैयारी में जुटते हैं। वे शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखकर व्रत की शुरुआत करते हैं।

  1. षष्ठी की सायंकाल पूजा:

दूसरे दिन, व्रती सुबह उठकर अपने घर के एक शुभ स्थान पर जाते हैं और सूर्योदय के समय सूर्य देवता की पूजा करते हैं। इसमें बर्तन, घास, फल, और बासी पत्तियाँ शामिल होती हैं।

  1. दूसरे दिन की सुबह पूजा:

व्रती तीसरे दिन को सूर्योदय के समय भी सूर्य देवता की पूजा के लिए तैयारी करते हैं। इस पूजा में वे सुधारित खाद्य पदार्थों को सूर्य देवता को समर्पित करते हैं।

  1. खाद्य प्रसाद तैयारी:

छठ पूजा के दिन व्रती खाद्य प्रसाद बनाते हैं जैसे कि गुड़ की खीर, ठेकुआ, और अन्य स्पेशल व्रत के खाद्य पदार्थ।

  1. छठी मैया का व्रत:

छठ पूजा का विशेषता सूर्य देवता के साथ छठी मैया का व्रत होता है, जिसमें व्रती तीन दिन तक केवल फल और दूध का सेवन करते हैं।

  1. सूर्योदय पूजा:

छठी मैया का व्रत समाप्त होने के बाद, व्रती सूर्योदय के समय पूजा करते हैं, जिसमें सूर्य देवता की आराधना और उनका प्रसाद समर्पित करते हैं।

  1. सूर्यास्त पूजा:

दूसरे दिन भी सूर्यास्त के समय पूजा की जाती है, जिसमें व्रती अपने परिवार के साथ उपयुक्त गीत और मंत्रों के साथ सूर्य देवता की पूजा करते हैं।

  1. व्रत का समापन:

छठ पूजा का व्रत सूर्यास्त के समय पूजा के साथ समाप्त होता है, और व्रती खाद्य प्रसाद को सूर्य देवता के समर्पित करते हैं।

  1. सूर्यास्त के बाद स्नान:

छठ पूजा के व्रती सूर्यास्त के बाद फिर से स्नान करते हैं, जिससे इस पूजा का पूरा आयोजन समाप्त होता है।

छठ पूजा की सामग्री (Chhath Puja Samagri)

छठ पूजा एक चार दिवसीय त्योहार है। इस त्योहार के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

नहाय-खाय के लिए:

  • नए कपड़े
  • सात्विक भोजन

खरना के लिए:

  • खिचड़ी
  • अन्य सात्विक भोजन

संध्या अर्घ्य के लिए:

  • बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां
  • दूध और जल के लिए एक ग्लास
  • एक लोटा और थाली, चम्मच
  • 5 गन्ने पत्ते लगे हुए
  • ठेकुआ
  • पंजीरी
  • फल
  • प्रसाद

उषा अर्घ्य के लिए:

  • बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां
  • दूध और जल के लिए एक ग्लास
  • एक लोटा और थाली, चम्मच
  • 5 गन्ने पत्ते लगे हुए
  • ठेकुआ
  • पंजीरी
  • फल
  • प्रसाद

छठ पूजा की पूजा सामग्री:

  • सूर्य देव और छठी मैया की मूर्तियां
  • फूल
  • माला
  • धूप
  • दीप
  • आरती की थाली
  • प्रसाद

छठ पूजा की अन्य सामग्री:

  • नदी या तालाब के लिए साफ कपड़े
  • छठ मंडप बनाने के लिए सामग्री
  • अर्घ्य देने के लिए थाली
  • छठ पूजा के गीत

छठ पूजा की सामग्री खरीदते समय ध्यान रखें कि वह ताजी और अच्छी क्वालिटी की हो।

छठ पूजा प्रसाद रेसिपी (Chhath Puja Prasad Recipe)

छठ पूजा के प्रसाद में मुख्य रूप से खिचड़ी, ठेकुआ, पंजीरी, और फल शामिल होते हैं।

  • खिचड़ी (Khichdi)

खिचड़ी छठ पूजा का सबसे प्रमुख प्रसाद है। यह एक सात्विक व्यंजन है जो चावल, दाल, घी, नमक, मिर्च, हल्दी, धनिया, जीरा, आदि से बनाई जाती है।

खिचड़ी बनाने की सामग्री:

  • 1 कप चावल
  • 1/2 कप दाल
  • 2 चम्मच घी
  • 1/2 चम्मच नमक
  • 1/4 चम्मच हल्दी
  • 1/4 चम्मच धनिया
  • 1/4 चम्मच जीरा
  • 1/2 कप पानी

खिचड़ी बनाने की विधि:

  1. चावल और दाल को अच्छी तरह से धो लें।
  2. एक कढ़ाई में घी गरम करें।
  3. घी में जीरा और धनिया डालें और भूनें।
  4. जीरा और धनिया के भून जाने पर इसमें हल्दी डालें और भूनें।
  5. हल्दी के भून जाने पर इसमें चावल और दाल डालें।
  6. चावल और दाल को अच्छी तरह से मिला लें।
  7. इसमें नमक डालें और मिला लें।
  8. कढ़ाई में 2 कप पानी डालें।
  9. कढ़ाई को ढक दें।
  10. चावल और दाल को धीमी आँच पर पकाएं।
  11. चावल और दाल के पक जाने पर गैस बंद कर दें।
  12. खिचड़ी को 5 मिनट के लिए ढककर रहने दें।
  13. खिचड़ी को थाली में निकालें और ठंडा होने दें।
  • ठेकुआ (Thekua)

ठेकुआ एक मीठा व्यंजन है जो मैदा, सूजी, घी, चीनी, दूध, इलायची, आदि से बनाई जाती है।

ठेकुआ बनाने की सामग्री:

  • 1 कप मैदा
  • 1/2 कप सूजी
  • 1/2 कप घी
  • 1/2 कप चीनी
  • 1/2 कप दूध
  • 1/4 चम्मच इलायची पाउडर

ठिकुआ बनाने की विधि:

  1. एक बाउल में मैदा, सूजी, घी, चीनी, दूध, और इलायची पाउडर डालें।
  2. सभी सामग्री को अच्छी तरह से मिला लें।
  3. मिश्रण से छोटे-छोटे गोले बना लें।
  4. एक कढ़ाई में घी गर्म करें।
  5. घी गर्म होने पर इसमें ठेकुआ डालें।
  6. ठेकुआ को सुनहरा भूरा होने तक तल लें।
  7. ठेकुआ को एक प्लेट में निकाल लें और ठंडा होने दें।
  • पंजीरी (Panjiri)

पंजीरी एक और मीठा व्यंजन है जो मैदा, घी, चीनी, दूध, इलायची, आदि से बनाई जाती है।

पंजीरी बनाने की सामग्री:

  • 1 कप मैदा
  • 1/2 कप घी
  • 1/2 कप चीनी
  • 1/2 कप दूध
  • 1/4 चम्मच इलायची पाउडर

पंजीरी बनाने की विधि:

  1. एक बाउल में मैदा, घी, चीनी, दूध, और इलायची पाउडर डालें।
  2. सभी सामग्री को अच्छी तरह से मिला लें।
  3. मिश्रण को एक पतली परत में बेल लें।
  4. बेली हुई परत को चाकू से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
  5. एक कढ़ाई में घी गर्म करें।
  6. घी गर्म होने पर इसमें पंजीरी डालें।
  7. पंजीरी को सुनहरा भूरा होने तक तल लें।
  8. पंजीरी को एक प्लेट में निकाल लें और ठंडा होने दें।
  • चावल की खीर (Chawal Ki Kheer)

छठ पूजा के लिए चावल की खीर रेसिपी चावल, दूध और ड्राई फ्रूट्स से बनाई जाती है।

चावल की खीर बनाने की सामग्री:

  • 1/2 कप बासमती चावल
  • 1 लीटर दूध
  • 1 कप चीनी
  • 1/2 कप गुड़ (चीनी की जगह पर)
  • 1/2 छोटी स्पून इलायची पाउडर
  • 1/4 कप किशमिश (रेसिन्स)
  • 1/4 कप बादाम (कद्दूकस किए गए)
  • 1/4 कप पिस्ता (कद्दूकस किए गए)

चावल की खीर बनाने की विधि:

  1. सबसे पहले, बासमती चावल को अच्छे से धो लें।
  2. एक पैन में दूध उबालें और उसमें धोए गए चावल डालें।
  3. चावल को दूध में बुआरी बनाएं और उबालने दें, इसके बाद आंच को कम करें और चावल पकने दें।
  4. जब चावल पूरी तरह से पके हो जाएं, तो उसमें चीनी, गुड़ (चीनी की जगह पर), और इलायची पाउडर डालें।
  5. सुगंधित और मिठी खीर की तैयारी के लिए आंच को मध्यम करें और बर्तन को बार-बार चलते रहें।
  6. खीर धीरे-धीरे गाढ़ी होती जाएगी। इसके बाद, उसमें किशमिश, बादाम, और पिस्ता डालें।
  7. खीर को और एक बार अच्छे से मिला कर उबालने दें।
  8. छठ पूजा के दिन इस मिठी और स्वादिष्ट चावल की खीर को पूजा का प्रसाद के रूप में छठी मैया को अर्पित करें।
  • फल (Fruits)

फल छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। व्रती सूर्य देव और छठी मैया को फल अर्पित करते हैं। छठ पूजा में मुख्य रूप से निम्नलिखित फल चढ़ाए जाते हैं:

  • केला
  • संतरा
  • अनार
  • नारियल
  • खीरा
  • तरबूज
  • पपीता
  • अंगूर
  • कद्दू

छठ पूजा प्रसाद बनाने के लिए ताजी और अच्छी क्वालिटी की सामग्री का उपयोग करें।

छठ पूजा के लिए भगवान सूर्य की आरती (Lord Surya Aarti for Chhath Puja)

छठ पूजा में भगवान सूर्य की आरती का विशेष महत्व है। इस आरती का पाठ करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। छठ पूजा में भगवान सूर्य की आरती के साथ-साथ छठी मैया की आरती भी की जाती है।

छठ पूजा में भगवान सूर्य की आरती निम्नलिखित है:

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।

तुम चार भुजाधारी।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे।

तुम हो देव महान।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।

सब तब दर्शन पाते।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।

करे सब तब गुणगान।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते।

गोधन तब घर आते।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में।

हो तव महिमा गान।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते।

आदित्य हृदय जपते।

सूर्य भगवान की आरती, जो कोई नर गावै।

उसके सात जन्म के पाप, सब छूटि जावै।

आरती के बाद यह प्रार्थना भी की जाती है:

हे भगवान सूर्य, आप मेरे और मेरे परिवार के सभी सदस्यों को स्वस्थ और सुखी रखें। आप हमें अपने आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्रदान करें।

छठ पूजा में भगवान सूर्य की आरती का पाठ करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। छठ पूजा एक बहुत ही पवित्र और शुभ त्योहार है। इस त्योहार के दौरान भगवान सूर्य की आरती का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

छठ पूजा में क्या करें और क्या न करें (Do’s And Don’t Do’s in Chhath Puja)

छठ पूजा करते समय बहुत सी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है, जिसके बारे में आपको पता होना जरूरी है

छठ पूजा में क्या करें:

  • छठ पूजा के तीनों दिनों में सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • पूजा के लिए साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें।
  • भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा विधि-विधान से करें।
  • छठ पूजा का प्रसाद ग्रहण करें।

छठ पूजा में क्या न करें:

  • छठ पूजा के दौरान मांसाहार भोजन न करें।
  • धूम्रपान, शराब आदि न लें।
  • लहसुन और प्याज का सेवन न करें।
  • पूजा से पहले प्रसाद या भोग ग्रहण न करें।
  • बिना स्नान किये पूजा के लिए बनाई गई किसी भी वस्तु को हाथ न लगाएं।
  • छठ पूजा के दौरान पुरानी टोकरी का इस्तेमाल न करें।

छठ पूजा के विशेष नियम (Chhath Puja Special Rules)

  • छठ पूजा के दौरान व्रत रखने वालों को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।
  • व्रत के दौरान केवल फलाहार करना चाहिए।
  • व्रत के बाद प्रसाद ग्रहण करने से पहले भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करनी चाहिए।

छठ के क्षेत्रीय नाम (Regional names of Chhath)

छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में छठ पूजा को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, लेकिन इसका मूल अर्थ एक ही है। छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो जीवन, संतान, सुख और समृद्धि का प्रतीक है।

छठ पूजा के क्षेत्रीय नाम निम्नलिखित हैं:

  • छठ पूजा
  • डाला छठ
  • छठी पूजा
  • डाला पूजा
  • छठ मैया की पूजा
  • सूर्य षष्ठी
  • कतिकी छठ
  • चैती छठ
  • कार्तिक छठ
  • चैत्र छठ
  • रवि षष्ठी

बिहार में छठ पूजा (Chhath Puja in Bihar)

छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है।

बिहार में छठ पूजा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और इस दौरान व्रती सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं। छठ पूजा के पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है। इस दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान करते हैं और सात्विक भोजन करते हैं। छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती एक विशेष प्रकार का भोजन, खरना, खाते हैं। छठ पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती शाम में नदी या तालाब में जाकर सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा के चौथे दिन को उषा अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सुबह-सुबह नदी या तालाब में जाकर सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देते हैं।

बिहार में छठ पूजा के दौरान कई तरह के पारंपरिक आयोजन किए जाते हैं। इन आयोजनों में शामिल हैं:

  • छठ मंडप बनाना: छठ पूजा के दौरान व्रती अपने घरों में या नदी के किनारे छठ मंडप बनाते हैं। छठ मंडप को केले के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है।
  • छठ गीत गाना: छठ पूजा के दौरान व्रती छठ गीत गाते हैं। ये गीत सूर्य देव और छठी मैया की महिमा का गुणगान करते हैं।
  • छठ भोजन बनाना: छठ पूजा के दौरान व्रती विशेष प्रकार का भोजन बनाते हैं। इस भोजन में खिचड़ी, ठेकुआ, पंजीरी, और फल शामिल होते हैं।

बिहार में छठ पूजा एक बहुत ही भव्य और रंगारंग त्योहार है। इस त्योहार के दौरान बिहार के लोग एक-दूसरे के घर जाकर छठ पूजा मनाते हैं। छठ पूजा एकता और भाईचारे का त्योहार है।

निष्कर्ष

छठ पूजा एक कठिन व्रत है, लेकिन इस व्रत को करने से व्रती को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत को करने से व्रती की संतान दीर्घायु और सुखी होती है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से व्रती का मन शांत और प्रसन्न रहता है

Chhath Puja 2023: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्र: 2023 में छठ पूजा कब है November 2023?

उत्तर: 2023 में छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर 2023, शुक्रवार से होगी और समापन 20 नवंबर 2023, सोमवार को होगा।

प्रश्र: छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है जो संतान की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है।

प्रश्र: छठ पूजा कब है 2023 Nahay KHAY kab hai?

उत्तर: छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय कहलाता है। इस दिन व्रती स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं और मीठे भोजन का सेवन करते हैं। नहाय खाय 17 नवंबर 2023, शुक्रवार को है।

प्रश्र: छठ पूजा में किसकी पूजा की जाती है?

उत्तर: छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। छठी मैया को संतान की देवी माना जाता है।

प्रश्र: क्या पुरुष छठ पूजा कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, पुरुष भी छठ पूजा कर सकते हैं। छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो सभी धर्म और जाति के लोगों द्वारा मनाया जाता है।

प्रश्र: छठ पूजा कैसे मानना जाता है?

उत्तर: छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला एक व्रत है। इस व्रत के दौरान व्रती को निर्जला रहना पड़ता है। छठ पूजा के पहले दिन, व्रती स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं और मीठे भोजन का सेवन करते हैं। दूसरे दिन, व्रती खरना करते हैं, जिसमें चावल के खीर और अन्य मीठे व्यंजनों का सेवन किया जाता है। तीसरे दिन, व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। चौथे दिन, व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और व्रत का पारण करते हैं।

प्रश्र: छठ पूजा का इतिहास क्या है?

उत्तर: छठ पूजा की उत्पत्ति के बारे में कई कथाएं हैं। एक कथा के अनुसार, एक समय था जब एक पति-पत्नी को पुत्र नहीं था। वे दोनों बहुत दुखी थे। एक दिन, पत्नी ने छठी मैया की आराधना की। छठी मैया ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद, पत्नी के गर्भ से एक पुत्र का जन्म हुआ। खुशी से पागल पति-पत्नी ने छठ पूजा की। तब से, संतान की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना के लिए छठ पूजा की परंपरा शुरू हुई।

प्रश्र: बिहार में छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: बिहार में छठ पूजा का बहुत महत्व है। बिहार में छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल से मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य पुत्र कर्ण का संबंध बिहार के मुंगेर जिले से था। कर्ण ने भी छठ पूजा की थी। इसलिए, बिहार में छठ पूजा को एक प्राचीन परंपरा के रूप में भी देखा जाता है।

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