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दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान क्या हैं in Hindi – Dowry System in India

जब एक बाप अपनी बेटी किसी को दे रहा है तो इससे बड़ा और कोई भी उपहार वह उसके ससुराल वालों को नहीं दे सकता है।

हमारी भारतीय संस्कृति में लड़की की शादी के समय उसके मां-बाप उसे अपनी समर्थ के अनुसार उपहार देते थे। इसे बेटी की शादी में एक परंपरा के रूप में देखा जाता था। धीरे-धीरे इस परंपरा को दहेज की प्रथा का नाम दिया गया। लड़की के मां-बाप अपनी बेटी को दहेज के रूप में बहुत सी ऐसी चीज देते हैं जो आगे चलकर उसकी जिंदगी में उसे काम आने वाली हैं। यह चीज हर पेरेंट्स अपनी हैसियत के हिसाब से दिया करते थे क्योंकि यह चीज देना कोई जरूरी नहीं है। जब एक बाप अपनी बेटी किसी को दे रहा है तो इससे बड़ा और कोई भी उपहार वह उसके ससुराल वालों को नहीं दे सकता है।

मगर कई लोग इस प्रथा को कुप्रथा का रूप दे चुके हैं और अब हमें ऐसी बहुत सी घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है कि ससुराल में उस लड़की को काफी परेशान किया जाता है जो अपने साथ दहेज में अपने ससुराल की मांगी हुई चीज नहीं लेकर आती है। ऐसा करना उन लोगों के लिए गलत बात तो है मगर इस बात को वो लोग अपने बेटे के ऊपर लगाई हुई संपत्ति के रूप में देखते हैं और वह लड़की के परिवार वालों से इस चीज की मांग करते हैं। वह लड़की के माता-पिता की चिंता और दुख को नहीं समझ पाते हैं। इसलिए आज इसी बात को एक्सप्लेन करने के लिए हम आपके लिए दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान क्या है? (What are the benefits and loss of dowry system in India?) इस बारे में आर्टिकल लेकर आए हैं। तो चलिए जानते हैं कि भारत में दहेज प्रथा के क्या फायदे हैं (What are the advantages of dowry system?) और दहेज प्रथा के क्या नुकसान हैं। (What are the disadvantages of dowry system?)

सबसे पहले बात करते हैं कि दहेज प्रथा की उत्पत्ति के कारण क्या थे? (What were the reasons for the origin of dowry system?)

दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान क्या हैं

दहेज प्रथा की उत्पत्ति के कारण!! (Reasons for the origin of dowry system)

बाल विवाह- बाल विवाह एक ऐसी प्रथा थी जिसमें लड़के और लड़की की बचपन में ही शादी कर दी जाती थी। इसमें उन्हें बड़े होकर अपनी पसंद का दूल्हा या दूल्हा दुल्हन चुनने की अनुमति नहीं होती थी। केवल दहेज को लेकर लड़के के पेरेंट्स छोटी सी लड़की से उसकी शादी कर देते थे। तब से ही शादी में उपहार देने की प्रथा चल पड़ी थी।

कुलीन विवाह की प्रथा- कुलीन विवाह के कारण भी दहेज प्रथा की उत्पत्ति हुई है। इस प्रथा के रहते उच्च कुल में लड़कों की कमी हुआ करती थी। इसलिए एक अच्छे लड़के से अपनी लड़की की शादी करवाने के लिए मां-बाप को दहेज यानी की बहुत से उपहार और पैसा देना पड़ता था।

हिंदू लड़कियों में विवाह करना था जरूरी- दहेज प्रथा की उत्पत्ति के कारण में यह भी एक सबसे बड़ा कारण था कि हिंदू समाज में लड़कियों की शादी करना अनिवार्य था। जिस बात का फायदा लड़के वाले और उनके पेरेंट्स उठाया करते थे और अपने लड़के की शादी के लिए ढेर सारा लड़की वालों के पेरेंट्स से दहेज मांगा करते थे।

भारत में दहेज प्रथा के फायदे

हालांकि दहेज प्रथा का सार्वजनिक रूप से निंदन ही किया जाता है और इसे कानूनी रूप से बंद भी किया गया है और साथ ही नैतिक रूप से इसका तिरस्कार भी किया जाता है। लेकिन यह प्रथा आज भी हमारे भारत में कायम है और इस प्रथा का समर्थन करने वाले लोग दहेज प्रथा के फायदे के बारे में चर्चा भी करते हैं

· दहेज प्रथा नव विवाहित जोड़े को अपनी फैमिली सेटल डाउन करने में मदद करती है

जो दहेज प्रथा के समर्थक हैं उनका कहना है कि जो पैसा, सामान लड़की के मां-बाप उसे उपहार के रूप में देते हैं, उस समान और उस पैसे को नव विवाहित जोड़े को अपना नया घर बनाने में और नई दुनिया बसाने में मदद मिल सकती है ताकि वह अपनी फैमिली को और अपने नए ग्रहस्ती को आगे बढ़ा सके।

· लड़की की शादी आसानी से हो जाती है

दहेज प्रथा के रहते हुए कई बार ऐसा देखा गया है कि कई लड़कियां दिखने में ज्यादा सुंदर नहीं होती है मगर मां-बाप की तो परियों ही होती हैं। इसलिए उनकी शादी के लिए मां-बाप को कुछ दहेज अरेंज करना होता है ताकि एक अच्छे घर में एक अच्छे लड़के के साथ उनकी शादी करवाई जा सके। दहेज प्रथा का एक फायदा यह भी है की ऐसी लड़कियां जिनमें कुछ कमियां है वह भी अपनी इमेज को बनाए रख सकती हैं।

· कन्याओं को मिलता है पढ़ने का पूर्ण अवसर

दहेज प्रथा के रहते लड़की की शादी के लिए साजो-समान को इकट्ठा करने में मां-बाप को कई बार कुछ साल ज्यादा लग जाते हैं और उन सालों में उनकी बेटी अपनी अच्छी एजुकेशन प्राप्त कर सकती है। ऐसा करने ने वो अपनी लाइफ में आत्मनिर्भर बन सकती है जिसे कि दहेज प्रथा के फायदे (Benefits of dowry system) में गिना जा सकता है।

· बाल विवाह का अंत हुआ है दहेज प्रथा के साथ

पहले जमाने में लड़कियों का छोटी उम्र में ही विवाह कर दिया जाता था जिसे बाल विवाह कहा जाता है। दहेज प्रथा के फायदे (Advantages of dowry system) में एक फायदा यह भी शामिल है कि बाल विवाह अब नहीं होता। क्योंकि छोटी उम्र तक मां-बाप अपनी बेटी को देने के लिए वह सामान और धन इकट्ठा नहीं कर पाते हैं। इसलिए लड़कियों की अच्छी उम्र यानी की 20 साल के बाद ही शादी की जाती है।

· परिवार में महिलाओं की स्थिति को बढ़ावा मिलता है दहेज प्रथा के साथ

दहेज प्रथा के समर्थक इस बात पर भी जोर देते हैं की शादी अगर एक लड़की के लिए जीवन बीमा है तो दहेज देना उसके लिए एक प्रीमियम है। मतलब कि जो लड़की अपने साथ अपने घर से दहेज लेकर ससुराल आती है उसकी परिवार में और महिलाओं में स्थिति अच्छी रहती है। यानी कि उसे अपनी बाकी देवरानियों और जेठाणियों से ज्यादा मान सम्मान दिया जाता है और साथ ही दहेज प्रथा के रहते हुए उस लड़की की समाज में अपना दर्जा बढ़ाने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

तो यह थे दहेज प्रथा के कुछ फायदे(Advantages of dowry system) चलिए अब बारी है बात करने की दहेज प्रथा के नुकसान (Disadvantages of dowry system) के बारे में!

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भारत में दहेज प्रथा के नुकसान ( Disadvantages of dowry system in India)

दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान

दहेज प्रथा ने एक लड़की को एक बिक्री का सामान बना दिया है जिससे कि जितना दाम उसके मां-बाप उसके लिए लगा सकते हैं उतना ही अच्छा घर परिवार और ससुराल उस लड़की को मिल सकता है। इसके इलावा बहुत से दहेज प्रथा के हमारे भारत में नुकसान (Disadvantage of dowry system in India) भी हैं। चलिए इसके बारे में डिटेल में बात करते हैं।

· लड़की के परिवार पर आर्थिक बोझ है दहेज प्रथा

अपनी लड़की के शादी में दहेज देने की क्षमता हर मां-बाप में नहीं होती है। कई पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से अपनी लड़की की शादी करने के लिए पैसा इकट्ठा कर पाते हैं ताकि वह अपनी बेटी के ससुराल वालों और उनके रिश्तेदारों को अच्छा भोजन करवा सके और अपने होने वाले दामाद को कुछ भेंट दे सके। मगर दहेज प्रथा के रहते हुए उन्हें अपनी लड़की के लिए बहुत सा सामान इकट्ठा करना पड़ता है। और आजकल के ट्रेड के अनुसार लड़की को कुछ फिक्स डिपाजिट भी देना पड़ता है। तो यह दहेज प्रथा उन पेरेंट्स के लिए एक आर्थिक बोझ है जिन्हें उठाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। इसलिए लड़की के पैदा होते से ही वह इस भोज को अपने सिर पर लेकर घूमते हैं।

· भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है दहेज प्रथा

कई बार लड़की के पिता अपनी लड़की के विवाह के लिए दहेज इकट्ठा करने के लिए भ्रष्टाचार में भी शामिल हो जाते हैं और रिश्वत लेकर लोगों का काम करते हैं। ताकि उन्हें अपनी बेटी के विवाह के लिए पैसा मिल सके। यह हमारे भारत में दहेज प्रथा का सबसे बड़ा नुकसान (Disadvantage of dowry system) है।

· लड़कियों को एक अल्प वस्तु माना जाता है दहेज प्रथा के रहते

दहेज प्रथा का नुकसान लड़की वालों के लिए बहुत ज्यादा है क्योंकि दहेज प्रथा के रहते हुए लड़की को एक चीज के समान तोला जाता है कि जितना उसे लड़की के पेरेंट्स में समर्थ है या उससे भी ज्यादा उनको अपनी लड़की के ससुराल वाले को शादी की कीमत चुकानी पड़ती है। इससे स्त्रियों का समाज में स्टैंडर्ड गिर रहा है। इसी वजह से लड़कियों के पैदा होने पर मां-बाप खुश नहीं होते हैं।

· उधार में डूब जाता है लड़की का परिवार

दहेज प्रथा की कीमत को पूरा करने के लिए कई लड़कियों के माता-पिता उधार भी लेते हैं और उस उधार को चुकाने में ही उनकी जिंदगी पूरी खत्म हो जाती है और वह अपनी जिंदगी को बिना जिए बस अपनी लड़की की शादी के लिए हुए उधार को चुकाने में गवा देते हैं।

· ससुराल में इज्जत नहीं मिलती है

दहेज प्रथा का सबसे बड़ा नुकसान (Disadvantage of dowry system) है कि जो लड़की या लड़की के पेरेंट्स अपनी बेटी की शादी के समय दहेज नहीं दे पाते हैं तो उस लड़की को ससुराल में इज्जत प्राप्त नहीं होती है। ऐसा हमने कई बार देखा और सुना है की कई दुल्हनों को मारा जाता है और उन्हें जला भी दिया जाता है। सिर्फ इसी वजह से के उनके मां-बाप उनकी शादी के समय उन्हें अच्छा दहेज नहीं दे पाए थे।

· लड़कियां अपनी मायके से टूट जाती हैं

कई बार ऐसा देखा गया है कि ससुराल की बातों में आकर लड़कियां अपने मां-बाप से दहेज की मांग करती हैं। मगर मां-बाप अपना समर्थ ना होने की वजह से उन्हें उनकी मांग के मुताबिक दहेज की अमाउंट नहीं दे पाते हैं। तो केवल इसी वजह से लड़कियां अपने मां-बाप से और अपने भाई बंधुओ से दूर भी हो जाती हैं। क्यूंकि उन्हें अपने ससुराल के हिसाब से ही चलना पड़ता है।

· दहेज प्रथा की वजह से औरतों का करवाया जाता है गर्भपात

यह आप सब लोगों ने सुना होगा कि लोग लड़कियां पैदा करने से घबरा जाते हैं और यह सिर्फ दहेज प्रथा की वजह से ही होता है। क्योंकि हर पेरेंट्स में इतना सामर्थय नहीं होता है कि वह अपनी लड़की की शादी में बहुत सारा दहेज दे सके। इसलिए अगर उन्हें लड़की पैदा होने वाली होती है तो उसे कोख में ही मार दिया जाता है। ताकि बड़े होकर उसके लिए दहेज इकट्ठा करने में मां-बाप की पूरी जिंदगी खराब ना हो। भले ही इस पर सरकार ने रोक लगा रखी है और उसे डॉक्टर को सजा भी दी जाती है जो ऐसा करने में किसी भी पेरेंट्स की हेल्प करता है मगर फिर भी इसी वजह से लड़कियां समाज में कम पैदा की जाती हैं।

तो यह थे हमारे भारतीय समाज में दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान(Advantages and disadvantages of dowry system in Indian society) ऐसा नहीं है कि आजकल दहेज प्रथा को इस तरह से निभाया जाता है जैसे कई दशक पहले निभाया जाता था। आज के समय में इस दहेज प्रथा के निवारण (Preventive steps of dowry system) के भी बहुत से तर्क सामने आए हैं

दहेज प्रथा

दहेज प्रथा के निवारण के उपाय

  • आजकल हर लड़के और लड़की को अपने हिसाब से अपना जीवन साथी चुनने की अनुमति होनी चाहिए जिससे के दहेज प्रथा का निवारण किया जा सकता है।
  • लड़के और लड़की को पढ़ा लिखा कर इतना सक्षम बना देना चाहिए कि वह अपनी गृहस्थी को बिना अपने मां-बाप के पैसों की मदद से चला सके।
  • भारतीय सरकार को बहुत से प्रचारकों और हिंदी फिल्मों के द्वारा दहेज प्रथा के नुकसान लोगों को बताकर इसके निवारण में मदद करनी चाहिए।
  • उसके साथ ही पत्र पत्रिकाओं द्वारा भी दहेज प्रथा पर रोक लगाने का प्रचार किया जा सकता है।

तो यह था हमारा आज का आर्टिकल!! जिसमें हमने आपको दहेज प्रथा के फायदे दहेज प्रथा के नुकसान (Benefits and losses of dowry system) और दहेज प्रथा के निवारण के उपाय (Preventive steps of dowry system) के बारे में बताया है। जैसे कि आप सब जानते हैं कि हमारा यह ब्लॉग महिलाओं को समर्पित है और सभी महिलाओं को दहेज प्रथा से नफरत होनी चाहिए। ऐसा नहीं है की मां-बाप अपनी बेटी को उसकी जिंदगी चलाने के लिए कुछ भी उपहार में ना दें। मगर लड़की के मां-बाप पर किसी बात की कोई जोर जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए कि इतना पैसा देने के बाद ही उनकी लड़की ससुराल में खुश रह सकती है। जिस मां-बाप ने अपने जिगर का टुकड़ा ससुराल वालों के हाथ में दे दिया है उस मां-बाप के पास और कुछ भी देने के लिए नहीं बचता है।

उम्मीद है आपको हमारा आर्टिकल काफी पसंद आया होगा हमें आपके कॉमेंट्स का हमेशा से इंतजार रहेगा।

दहेज प्रथा के फायदे और नुकसान के बारे में कुछ प्रश्न!! (FAQs related to Dowry System!!)

1. दहेज प्रथा से हमें क्या-क्या लाभ मिलता है? (What are the benefits of dowry system?)

दहेज प्रथा से समाज को कुछ लाभ भी मिलते हैं जैसे कि नविवाहित जोड़ा अपनी ग्रहस्थी को अच्छे से चलने में समर्थ हो सकता है और एक लड़की की समाज में इज्जत बढ़ सकती है। इसके अलावा हमने आपके अपने आर्टिकल में आपको दहेज प्रथा के फायदे के बारे में डिटेल में बताया है।

2. भारतीय कानून के अनुसार दहेज क्या है? (What is dowry according to Indian law?)

दहेज विवाह में माता-पिता के द्वारा अपनी बेटी को दिए हुए उपहार हैं ताकि वह अपनी आने वाले घर-संसार की शुरुआत अच्छे से कर सके। मगर इन उपहार को दहेज प्रथा का नाम देकर कई लोग लड़कियों पर बहुत से अत्याचार भी करने लगे हैं जिसकी वजह से कोई भी पिता बेटी पैदा होने पर खुश नहीं होता है।

3. दहेज में क्या-क्या शामिल है? (What are the things included in dowry?)

दहेज में संपत्ति से लेकर मकान, जमीन, कार, आभूषण, घर का साजो-सामान और बहुत सी ऐसी चीज शामिल हैं जिन्हें इकट्ठा करना कई बार एक लड़की के पिता के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है।

4. दहेज प्रथा कितने प्रकार की होती है? (How many types of downry system is there?)

दहेज प्रथा दो प्रकार की होती है एक जिसमें एक वो जो लड़की के पिता अपनी बेटी के घर संसार को बनाए रखने के लिए अपने समर्थ के अनुसार उपहार देते हैं। और दूसरी जो लड़के के मां-बाप अपने लड़के को पढ़ाने- लिखाने और बड़ा करने का हिसाब-किताब लड़की के मां-बाप से मांगते हैं। दूसरी प्रकार की दहेज प्रथा ने हमारे भारतीय समाज में बहुत कुरूप रूप ले लिया है जिससे कि लड़की का पैदा होना एक बाप के लिए अभिशाप बन जाता है।

5. दहेज प्रथा का निवारण कैसे किया जा सकता है? (How to get rid of dowry system?)

हालांकि दहेज प्रथा का निवारण के लिए बहुत सी समाज सेवाएं चल पड़ी है ताकि किसी लड़की के पैदा होने पर किसी मां-बाप को दुख ना हो। मगर फिर भी अगर हम उच्च शिक्षा ग्रहण करें और लड़की को इस काबिल बनाएं कि वह अपने लिए अपनी पसंद का और अपने हिसाब का लड़का चुने तो इस दहेज प्रथा का निवारण किया जा सकता है।

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